प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियां वर्तमान बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपनी संभावित परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में काफी सतर्क रुख अपनाती दिख रही हैं। उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि रिहायशी श्रेणी में बिना बिके मकानों का अधिक स्टॉक न बढ़े। इस समय, बाजार में गिरावट और अनिश्चितता के कारण खरीदार और निवेशक अपनी संपत्ति खरीदने के फैसले को टाल रहे हैं, जिससे मांग में भी गिरावट आई है।
इस समय, डेवलपर्स कड़ी प्रतिस्पर्धा और धीमी बिक्री के चलते अपनी योजनाओं पर फिर से विचार कर रहे हैं। कई कंपनियां ऐसे प्रोजेक्ट्स पर ध्यान दे रही हैं जो कम जोखिम वाले हों, और कुछ कंपनियां अपनी निर्माण प्रक्रियाओं को भी टाल रही हैं ताकि वित्तीय स्थिति पर ज्यादा दबाव न पड़े। रियल एस्टेट क्षेत्र में इन कठिनाइयों के बावजूद, कुछ डेवलपर्स अपने प्रोजेक्ट्स को सुधारने और नया रूप देने के लिए योजना बना रहे हैं, ताकि भविष्य में जब बाजार की स्थिति बेहतर हो, तो वे जल्दी से फायदा उठा सकें। बाजार में सुधार लाने के लिए कंपनियों को नई और रचनात्मक रणनीतियों की खोज करनी पड़ रही है, जैसे कि सस्ते आवास विकल्प और ग्राहकों के लिए आकर्षक वित्तीय योजनाएं पेश करना।
रियल एस्टेट बाजार पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों और डेवलपर्स का कहना है कि मुंबई, गुरुग्राम और कुछ अन्य क्षेत्रों में आने वाले महीनों में बाजार गतिविधियों में सुस्ती देखी जा सकती है। हालांकि, कोविड महामारी के समय की अटकी हुई मांग के कारण 2023 और 2024 में रिहायशी परियोजनाओं और बिक्री में तेजी आई थी। सूत्रों के मुताबिक, डेवलपर्स अपनी मौजूदा स्टॉक को बेचने और बाजार की स्थिति का आकलन करने के बाद ही कोई नई योजना शुरू करेंगे।
प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ ने पिछले कुछ तिमाहियों या पिछले साल के मुकाबले बिक्री में कमी आने की संभावना जताई है। डीएलएफ के चेयरमैन राजीव सिंह ने हाल ही में निवेशकों से बातचीत करते हुए कहा, “हमने यह बताया है कि बिक्री सपाट रहने की स्थिति के लिए तैयार रहें।” उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी अपनी परियोजनाओं को लॉन्च करने की कोशिश करेगी, लेकिनइसकी रफ़्तार अस्थिर हो सकता है।
रियल एस्टेट विश्लेषकों और अनुसंधान फर्मों का कहना है कि 2025 की पहली तिमाही में पिछले साल के मुकाबले बिक्री में कमी देखने को मिल सकती है। इसके प्रमुख कारणों में मकानों की कीमतों में वृद्धि, भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण निवेशकों का सतर्क रुख और भारतीय अर्थव्यवस्था की कुछ कमजोरियां शामिल हैं। इसके अलावा, बढ़ती ब्याज दरें और बढ़ती निर्माण लागत भी खरीदारों और निवेशकों को प्रभावित कर रही हैं, जिससे उनकी खरीदारी की योजना पर असर पड़ सकता है। इस स्थिति के चलते, डेवलपर्स को अपनी रणनीतियों में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है, ताकि कंपनियों बाजार में आए उतार-चढ़ाव और जोखिमों से सुरक्षित तरीके से निपट सके।
मुंबई के रियल एस्टेट बाजार में पिछले कुछ सालों से तेजी देखी जा रही है। हालांकि, कुछ डेवलपर्स ने तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) में किए गए संशोधनों और सीआरजेड के 500 मीटर के दायरे में फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) पर लगाई गई पाबंदियों को हटाए जाने के बाद अधिक आपूर्ति की संभावना पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इससे बांद्रा, खार, अंधेरी और जुहू जैसे इलाकों में नए विकास परियोजनाएं शुरू हो सकती हैं। इसके अलावा, इससे इन इलाकों में ट्रैफिक और बुनियादी सुविधाओं पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। डेवलपर्स का यह भी मानना है कि इन बदलावों के कारण इन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा तेज हो सकती है, जिससे मौजूदा प्रोजेक्ट्स को बिक्री में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।