भारत के मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र में मार्च महीने में आठ महीने का सबसे उच्चतम स्तर देखा गया। यह वृद्धि मांग में तेजी, फैक्ट्री ऑर्डर और उत्पादन में बढ़ोतरी के कारण हुई है। एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मार्च में 58.1 पर था, जो फरवरी में 56.3 था। यह आंकड़ा इस क्षेत्र की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार को दर्शाता है, जो इसके दीर्घकालिक औसत से भी ऊपर है।
यह वृद्धि विशेष रूप से उत्पादन और नए ऑर्डर में तेजी के कारण हुई, जिससे मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती का संकेत मिलता है। साथ ही, कंपनियों ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए नई भर्तियां भी कीं, जिससे रोजगार के अवसरों में भी सुधार हुआ। मार्च का यह आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र की निरंतर बढ़ती ताकत और दीर्घकालिक विकास की दिशा में एक मजबूत कदम को दर्शाता है।
कंपनियों ने बढ़ाई उत्पादन की मात्रा
सर्वेक्षण के अनुसार, मार्च में कुल बिक्री में जुलाई 2024 के बाद सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई। कंपनियों ने इस वृद्धि का श्रेय सकारात्मक ग्राहक रुचि, मजबूत मांग की स्थिति और सफल मार्केटिंग प्रयासों को दिया। इसके अलावा, कंपनियों ने 2024-25 वित्तीय वर्ष के अंत तक उत्पादन की मात्रा बढ़ाई। मार्च में नए निर्यात ऑर्डर में भी जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, विकास की गति पिछले तीन महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गई। यह बदलाव इस बात का संकेत है कि निर्यात में वृद्धि हुई, लेकिन विकास की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी। कंपनियां अब भी अपनी उत्पादन क्षमता और निर्यात की वृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, लेकिन बाहरी चुनौतियां और बाजार की अनिश्चितताएं थोड़ी चिंता का कारण बन सकती हैं।
50 के पार पीएमआई
फरवरी में, नए ऑर्डर और उत्पादन में धीमी वृद्धि के कारण भारत का मैनुफैक्चरिंग पीएमआई 14 महीने के निचले स्तर पर गिर गया। पीएमआई के अनुसार, 50 से ऊपर का स्कोर विस्तार का संकेत देता है, जबकि 50 से नीचे का स्कोर संकुचन को दर्शाता है। हालांकि, मार्च में मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र ने फरवरी में खोई हुई जमीन को फिर से हासिल कर लिया। इस सुधार का मुख्य कारण नए ऑर्डर सूचकांक में मजबूत बढ़ोतरी रही, जो इस क्षेत्र का सबसे बड़ा उप-घटक है।
इस बढ़ोतरी ने मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में उम्मीदों को फिर से मजबूत किया और संकेत दिया कि बाजार में मांग में सुधार हो रहा है। कंपनियों ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाए, जिससे उत्पादन और नए ऑर्डर में वृद्धि हुई। यह बदलाव आगामी महीनों में क्षेत्रीय विकास की दिशा में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
नए ऑर्डर इंडेक्स ने किया शानदार प्रदर्शन
पैनलिस्टों ने अंतरराष्ट्रीय बिक्री में एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व से लाभ का उल्लेख किया। हालांकि अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में थोड़ी मंदी आई, लेकिन कुल मिलाकर मांग की गति मजबूत बनी रही और नए ऑर्डर इंडेक्स ने आठ महीने का उच्चतम स्तर दर्ज किया। एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री, प्रांजुल भंडारी ने कहा कि मजबूत मांग ने कंपनियों को अपने इन्वेंट्री का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया, जिसके कारण तीन साल से अधिक समय में तैयार माल के स्टॉक में सबसे तेज गिरावट आई।
मांग में इस वृद्धि के कारण कंपनियां ग्राहकों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने स्टॉक्स का इस्तेमाल कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप जनवरी 2022 के बाद से तैयार माल के स्टॉक में सबसे तेज गिरावट आई। यह स्थिति मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र में सक्रियता और विकास की ओर इशारा करती है, जो आने वाले महीनों में बाजार की स्थिति को प्रभावित कर सकती है।
मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की तरक्की
मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में तेज़ वृद्धि का लाभ किसी भी देश को कई तरीकों से मिलता है। सबसे पहले, इससे निर्यात में वृद्धि होती है और आयात पर निर्भरता कम होती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत और स्थिर होती है। मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के मजबूत होने से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है और नवाचार (इनोवेशन) के नए रास्ते खुलते हैं।
जब एक फैक्ट्री या उद्योग तेजी से बढ़ता है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ता है, जैसे रसद (लॉजिस्टिक्स), परिवहन और सेवाओं के क्षेत्र में। इन सभी क्षेत्रों में वृद्धि से देश की समग्र आर्थिक स्थिति और व्यापारिक क्षमता में सुधार होता है। मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती देश के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होती है।