उत्तर प्रदेश के एटा जिले में उगाई जाने वाली खुशबूदार चिकोरी अब देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनी पहचान बनाने जा रही है। बागवानी विभाग ने इसे जीआई टैग दे दिया है, जिससे इसकी गुणवत्ता और विशेषता को आधिकारिक मान्यता मिल गई है। इसके साथ ही अब इसे उद्योग विभाग की ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट‘ (ODOP) योजना में भी शामिल कर लिया गया है। कृषि विभाग के अनुसार, एटा जिले में 30,000 से ज़्यादा किसान करीब 2,814 हेक्टेयर भूमि पर चिकोरी की खेती कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से किसानों को बेहतर बाज़ार, ज़्यादा आमदनी और नई संभावनाएं मिलेंगी।
कम नुकसान, ज़्यादा फसल

चिकोरी की खेती की सबसे खास बात यह है कि इसमें नुकसान की संभावना बेहद कम होती है। जानवर इसे खाना पसंद नहीं करते, जिससे फसल को नुकसान नहीं पहुंचता। इसके अलावा, अगर उत्पादन ज़्यादा भी हो जाए, तब भी कीमत गिरने का खतरा नहीं रहता। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, कंपनियाँ जब किसानों को बीज देती हैं, उसी समय उपज की कीमत भी तय कर लेती हैं। बाद में किसानों से उसी तय कीमत पर फसल खरीदी जाती है। खरीदी गई चिकोरी से रोस्ट पाउडर तैयार किया जाता है, जिसकी मांग देश और विदेश दोनों जगहों पर लगातार बनी रहती है।
इन देशों में है भारी मांग

चिकोरी पाउडर की मांग अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, रूस, बेलारूस, फ्रांस, पुर्तगाल, मलेशिया, सेनेगल और वियतनाम जैसे कई देशों तक पहुंच चुकी है। देश में इसका कारोबार लगातार बढ़ रहा है और एटा इस क्षेत्र में खास पहचान बना रहा है। राज्य सरकार ने साल 2023 में एटा की चिकोरी को जीआई टैग दिया था। अब उद्योग विभाग ने इसे ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ योजना में शामिल कर लिया है। माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद राज्य में चिकोरी से जुड़ी नई यूनिट्स लगाई जाएंगी और किसानों को इसकी खेती और प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। सरकार का उद्देश्य न सिर्फ चिकोरी इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है, बल्कि इससे राज्य में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
क्या है चिकोरी?

चिकोरी असल में एक पौधे की जड़ होती है, जो देखने में बिल्कुल मूली जैसी लगती है। इसे काटकर मशीन में सुखाया जाता है, फिर भूनकर इसका पाउडर बनाया जाता है। यह पाउडर कॉफी में मिलाया जाता है ताकि उसका स्वाद और खुशबू बेहतर हो सके। कुछ लोग इसे चाय में भी इस्तेमाल करते हैं। चिकोरी का इस्तेमाल कुछ दवाइयों में भी होता है, जो खास बीमारियों की रोकथाम में मददगार मानी जाती हैं।