केंद्रीय गृहमंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना के निजामाबाद में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड (National Turmeric Board) का उद्घाटन किया। यह बोर्ड देश के लाखों हल्दी किसानों, खासकर तेलंगाना के किसानों के लिए एक बड़ा तोहफा है। वहां के किसानों की यह मांग 40 साल पुरानी थी। अब हल्दी की राजधानी यानी निजामाबाद से हल्दी पूरी दुनिया में भेजी जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि साल 2030 तक भारत एक अरब डॉलर की हल्दी का निर्यात करे।
किसानों को सीधे लाभ मिलेगा
इस बोर्ड के बनने से अब किसानों को बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वे सीधे अपने उत्पाद बेच सकेंगे और ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे। हल्दी की पैकेजिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट की पूरी जिम्मेदारी बोर्ड उठाएगा। इससे किसानों को अच्छी कीमत मिलने की संभावना है।
कीमतों में सुधार की उम्मीद
अभी किसानों को हल्दी का दाम 18 हजार से 19 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक मिला है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले तीन सालों में यह कीमत 6-7 हजार रुपये और बढ़े, जिससे किसानों की आमदनी में इजाफा हो सके।
दवा के रूप में हल्दी की पहचान
हल्दी को ‘वंडर ड्रग’ कहा जाता है क्योंकि इसमें एंटी-वायरल, एंटी-कैंसर और सूजन कम करने वाले गुण होते हैं। अब सरकार इसके औषधीय रिसर्च पर भी ध्यान दे रही है ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग और बढ़ सके।
निजामाबाद, जगतियाल, निर्मल और कामारेड्डी जैसे जिलों में बड़ी मात्रा में हल्दी उगाई जाती है। अब इन क्षेत्रों के किसान आत्मनिर्भर भारत की ओर और तेजी से बढ़ सकेंगे। राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड से भारत की हल्दी को दुनिया भर में पहचान मिलेगी और कृषि क्षेत्र को नया जोश मिलेगा।