BY- NISHA MANDAL
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का इतिहास

भारत में हर साल 11 मई को ‘राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन का महत्व साल 1998 से जुड़ा है, जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को अपनी तकनीकी क्षमता का परिचय दिया था। यह परीक्षण ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत किया गया था और इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर देशों की श्रेणी में शामिल हो गया।
इस दिन का उद्देश्य
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों का सम्मान करना और आम जनता, विशेष रूप से युवाओं को इस दिशा में प्रेरित करना है। यह दिन वैज्ञानिक सोच, नवाचार और तकनीकी विकास के महत्व को रेखांकित करता है। स्कूल, कॉलेज और वैज्ञानिक संस्थान इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिनसे छात्रों को नई तकनीकों की जानकारी मिलती है।
तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर कदम
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि किसी भी देश की प्रगति उसके वैज्ञानिक और तकनीकी विकास पर निर्भर करती है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं के जरिए तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। अब भारत खुद के बनाए हुए तकनीकी उत्पादों और सॉफ्टवेयर के माध्यम से वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है।
युवाओं के लिए प्रेरणा
यह दिवस युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले छात्र इस दिन को नई ऊर्जा और दिशा के रूप में लेते हैं। सरकारी और निजी संस्थाएं इस दिन वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाले अभियानों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करती हैं, जिससे छात्रों में नवाचार की भावना विकसित होती है।