मार्च में औद्योगिक उत्पादन 3% पर, मामूली सुधार दर्ज
मार्च 2025 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर हल्के सुधार के साथ 3 प्रतिशत रही, जबकि फरवरी में यह गिरकर 2.72 प्रतिशत हो गई थी, जो पिछले छह महीनों का सबसे निचला स्तर था। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, उच्च आधार और कमजोर मांग के चलते औद्योगिक उत्पादन में तेजी सीमित रही। मार्च 2024 में यह वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत थी। इस बार बिजली क्षेत्र में 6.3 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र में 3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिससे औद्योगिक उत्पादन में थोड़ा सुधार हुआ। हालांकि, खनन क्षेत्र में 0.4 प्रतिशत की गिरावट के कारण कुल वृद्धि पर असर पड़ा।
टिकाऊ वस्तुएं बढ़ीं, गैर टिकाऊ फिसलीं
मार्च में बुनियादी ढांचा वस्तुओं की वृद्धि दर 8.8 प्रतिशत और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही, जो कि तेज मानी जा रही है। दूसरी ओर, पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन घटकर 2.4 प्रतिशत पर आ गया। प्राथमिक वस्तुओं में 3.1 प्रतिशत और मध्यवर्ती वस्तुओं में 2.3 प्रतिशत की हल्की वृद्धि देखी गई। हालांकि, उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में 4.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, और यह लगातार चौथे महीने नकारात्मक क्षेत्र में बना रहा। केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा के अनुसार, मार्च में विनिर्माण क्षेत्र को उस समय लाभ मिला जब कंपनियों ने प्रत्याशित जवाबी शुल्क लागू होने से पहले स्टॉक जमा करना शुरू कर दिया। हालांकि, घरेलू मांग में अस्थिरता को देखते हुए उपभोग के रुझानों पर नजर बनाए रखना जरूरी है।
FY25 में IIP घटकर 4%, औद्योगिक मांग सुस्त
उन्होंने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों से मांग में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन शहरी मांग में सुस्ती अभी भी चिंता का विषय है। आने वाले समय में महंगाई दर में कमी, बेहतर कृषि गतिविधियाँ, कर्ज की लागत में गिरावट और आयकर में राहत जैसे कारक खपत की मांग को सहारा दे सकते हैं। FY25 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) की वृद्धि दर घटकर 4 प्रतिशत रह गई, जो पिछले चार सालों का सबसे निचला स्तर है। इससे पूरे साल के दौरान औद्योगिक मांग की सुस्ती का संकेत मिलता है। इसकी तुलना में FY24 में IIP वृद्धि दर 5.9 प्रतिशत थी, जबकि कोविड महामारी के समय FY21 में IIP में 8.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
उपभोग कमजोर, उत्पादन धीमा
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि इस साल औद्योगिक वृद्धि कमजोर रही है, जिसका मुख्य कारण उपभोग में आई गिरावट है। आंकड़ों के अनुसार, FY25 में उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं का क्षेत्र 1.6 प्रतिशत संकुचित हुआ है। वहीं, बुनियादी उद्योगों में 6.6 प्रतिशत, मध्यवर्ती वस्तुओं में 4.1 प्रतिशत, पूंजीगत वस्तुओं में 5.5 प्रतिशत और प्राथमिक वस्तुओं में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन यह वृद्धि दर अपेक्षाकृत सुस्त रही है।
IIP डेटा में तेजी, उपभोक्ता क्षेत्र ने संभाला मोर्चा
FY25 के दौरान उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है और इसकी वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही। यह वृद्धि मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और कंप्यूटर जैसी वस्तुओं की मांग से प्रेरित रही। अप्रैल 2025 से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के आंकड़े हर महीने 28 तारीख को जारी किए जाएंगे। इससे आंकड़े जारी करने में लगने वाला समय 42 दिन से घटकर 28 दिन हो जाएगा और दूसरे संशोधन की जरूरत भी खत्म हो जाएगी। इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि आंकड़े जारी करने में देरी के कारण बाजार की प्रतिक्रिया धीमी रही, जिससे मार्च का अनुमानित विकास दर कमजोर दिखा। उन्होंने यह भी कहा कि इस कारण भविष्य में पहले की तुलना में आंकड़ों में बड़े संशोधन देखने को मिल सकते हैं।