गुजरात के तापी जिले में रहने वाली एक साधारण महिला के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं सुनीता चौधरी की, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से खेती के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। सुनीता चौधरी ने नेचुरल फार्मिंग अपनाकर काले चावल की खेती शुरू की। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि उन्होंने इस खेती की शुरुआत सिर्फ 4000 रुपये के निवेश से की थी। वहीँ,आज वह इस काले चावल की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रही हैं और इसके साथ ही 3000 से अधिक किसानों को खेती के तरीके पर प्रशिक्षण भी दे रही हैं।
साल 2013 में सुनीता ने ‘द आर्ट ऑफ लिविंग’ के यूथ लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया था। जहां उन्होंने खेती के बारे में बहुत कुछ सीखा था। इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने जाना और समझा कि खेती सिर्फ जीवन यापन करने का तरीका ही नहीं है, बल्कि यह एक पवित्र कार्य भी है। इसी दौरान सुनीता के मन में खेती करने का विचार आया। तब उन्होंने खुद से खेती करने का मन बना लिया था। सुनीता ने प्राकृतिक खेती को अपनाया, यानी बिना किसी मशीन या रसायनों का इस्तेमाल किए खेती करना शुरू कर दिया। इसी के साथ उनका उद्देश्य था कि वह एक ऐसी खेती करें, जो न केवल आर्थिक रूप से स्थिर हो, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी लाभकारी हो।
सुनीता ने केवल 4000 रुपये के निवेश से काले चावल की खेती शुरू की। उन्होंने मिश्रित फसल प्रणाली अपनाई और अपनी उपज में विविधता लाने की कोशिश की। मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए उन्होंने मल्चिंग विधि का उपयोग किया और साथ ही जीवामृत जैसे बायो-इनपुट का भी इस्तेमाल किया। सुनीता ने आधे एकड़ भूमि पर 150 किलो काले चावल की खेती की और उसे 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा। इससे उन्हें 650% का शानदार मुनाफा हुआ। सुनीता के उगाए गए चावल लोगों को बहुत ही पसंद आने लगे, जिससे उनकी बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई। इतना ही नहीं, सुनीता अब 15 किस्मों के चावलों की खेती करती हैं। जिससे उनको अच्छा मुनाफा हो रहा हैं। इसी के साथ अब वह हज़ारों लोगों को चावल की खेती करने की ट्रेनिंग देने के साथ-साथ रोज़गार भी प्रदान कर रहीं हैं।