भारत में तिलहन फसलों और खाद्य तेल का उत्पादन अच्छा खासा हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद देश को अपनी मांग पूरी करने के लिए बड़ी मात्रा में खाद्य तेल का आयात करना पड़ता है। इससे सरकार को हर साल भारी विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। इसके अलावा, जब विदेशों से शुल्क मुक्त आयात होता है, तो देश के किसानों को अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल पाता। यही वजह है कि भारत सरकार ने अधिकांश देशों से होने वाले खाद्य तेल आयात पर शुल्क लगा रखा है ताकि घरेलू किसान और उद्योग प्रभावित न हों।
लेकिन नेपाल इस सूची में शामिल नहीं है। नेपाल से होने वाला खाद्य तेल का शुल्क मुक्त आयात अब भारतीय तेल उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। माना जा रहा है कि कई अन्य देश नेपाल के रास्ते शुल्क से बचते हुए सस्ता तेल भारत में भेज रहे हैं, जिससे देश के किसानों और घरेलू तेल उद्योग को नुकसान हो रहा है। इसी मुद्दे को लेकर इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर इस पर रोक लगाने की मांग की है।
इससे देश के व्यापारियों को कीमतों के मामले में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है। इसी कारण भारतीय वनस्पति तेल उत्पादकों के संघ (IVPA) ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई है। IVPA ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मामले में आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।
तेजी से बढ़ रहा रिफाइंड तेल आयात
IVPA का कहना है कि भारत और नेपाल के बीच व्यापार संधि और दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते के तहत नेपाल से आयात होने वाले वनस्पति तेल पर भारत ने शुल्क नहीं लगाया है। इसी वजह से नेपाल के रास्ते रिफाइंड सोयाबीन और पाम ऑयल का आयात हाल के दिनों में तेजी से बढ़ गया है। संघ का यह भी कहना है कि कई विदेशी कंपनियां अब नेपाल को एक ट्रांजिट हब की तरह इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे वे अन्य देशों से सस्ता तेल मंगाकर नेपाल के रास्ते भारत भेज रही हैं। इससे शुल्क की बचत होती है, लेकिन भारत के घरेलू व्यापारियों, किसानों और तेल प्रोसेसिंग यूनिट्स को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। IVPA ने सरकार से मांग की है कि इस बढ़ते ट्रेंड पर तुरंत ध्यान दिया जाए और नीति में बदलाव कर इसे नियंत्रित किया जाए, ताकि घरेलू उद्योगों को संरक्षण मिल सके।
IVPA ने उठाई आवाज
IVPA ने सरकार से मांग की है कि वह आयातकर्ताओं पर लागू शुल्क अंतर (टैरिफ डिफरेंशियल) के बराबर बैंक गारंटी जमा कराने का प्रावधान करे, ताकि ‘मूल स्थान के नियम’ का सही पालन सुनिश्चित किया जा सके। इसके साथ ही संगठन ने रिफाइंड ऑयल पर लगने वाले कृषि अवसंरचना और विकास उपकर (AIDC) को वर्तमान 5% से बढ़ाकर 10% से 15% करने की सिफारिश की है, ताकि घरेलू उद्योग को संरक्षण मिल सके।
IVPA ने केंद्र सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि वह खाद्य तेल के आयात को नैफेड जैसी सरकारी एजेंसियों के माध्यम से चैनलाइज करे और कुल आयात की मात्रा पर एक निश्चित सीमा तय करे, ताकि अनियंत्रित आयात पर रोक लगाई जा सके और घरेलू किसानों व प्रोसेसरों को नुकसान से बचाया जा सके।
नेपाल के जरिए भारत में तेल की आमद
भारतीय खाद्य तेल उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि नेपाल से भारत में तेल आयात पर शुल्क नहीं लगने का फायदा अब कई अन्य देश उठा रहे हैं। जिन देशों से आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी लागू है, वे नेपाल को एक माध्यम (चैनल) की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। ये देश पहले खाद्य तेल नेपाल भेजते हैं और फिर वहां से यह तेल शुल्क-मुक्त रूप से भारत में पहुंचाया जाता है।
चूंकि नेपाल से आने वाला तेल सस्ता होता है, इसलिए इसका सीधा असर भारत के किसानों और व्यापारियों पर पड़ता है। उन्हें बाजार में अपनी फसल और उत्पाद को उचित दाम पर बेचने में कठिनाई होती है। इस समय देश में सोयाबीन और सरसों की फसलों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी नीचे चल रही हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है और घरेलू तेल उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिशों को भी झटका लग रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो भारत की खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता हासिल करने की रणनीति कमजोर हो जाएगी और आयात पर निर्भरता और बढ़ेगी।