आम जिसका नाम सुनकर ही मुँह में पानी आ जाता हैं। अब तो इसका सीजन भी आने वाला हैं। वैसे तो भारत में कई तरह के आम होते हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख नाम ये हैं, जैसे दसहरी, लंगड़ा, चौसा, तोतापुरी, मलिहाबादी इत्यादि। लेकिन अभी हम यहाँ पर बात करने वाले हैं कि कैसे इन दिनों आम की फसल में कीटों का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा हैं, और हमें कैसे अपनी आम की फसलों को बचाना चाहिए। दरअसल, अभी आम के बाग में कुछ बौर पर सरसों के दाने के आकार के फल दिखाई दे रहे हैं, जबकि कुछ बौर अभी भी कोमल अवस्था में हैं और इनमें परागण होना बाकी है। मौसम में बदलाव के कारण इस बार आम की फसल पर थ्रिप्स कीट का प्रकोप बढ़ गया है। फल और बागवानी के क्षेत्र में आईसीएआर संस्थान, सीआईएसएच लखनऊ के प्रधान कृषि वैज्ञानिक और पौध रोग सुरक्षा विशेषज्ञ ने किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपने बागीचे का नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए और खासतौर पर आम की कोमल पत्तियों और बौर पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अगर इनकी सही तरीके से देखभाल नहीं की गई तो यह कीट बौर और फलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता हैं।
हाल ही में हुई बारिश के कारण आम के बगीचों में थ्रिप्स की पहली पीढ़ी उभरकर सामने आई है। यह थ्रिप्स मुख्य रूप से नई कोमल पत्तियों पर दिखाई दे रही है। विशेषज्ञ ने बताया कि थ्रिप्स कीट के प्रकोप को निम्न लक्षणों से आसानी से पहचाना जा सकता है। इसको पहचानने का तरीका ये हैं कि इस कीट से प्रभावित पत्तियां धीरे-धीरे कठोर हो जाती हैं। और आम की कोमल पत्तियों और बौर पर छोटे-छोटे फलों पर भूरे या काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं। जिससे फल भी विकृत हो जाते हैं। इसी के साथ आम की पत्तियां सिकुड़ने और मुड़ने लगती हैं और बौर सूखकर गिरने लगता है।
मोबाइल करेगा इस कीट को पहचानने में मदद
इस कीट को कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले आम के पेड़ पर थ्रिप्स की मौजूदगी का निरीक्षण करना चाहिए। इसके लिए मोबाइल स्क्रीन की मदद से थ्रिप्स कीट की मौजूदगी जांच कर सकते हैं। इसके लिए मोबाइल स्क्रीन को काला रखें और कोमल पत्तियों के नीचे लगाएं। इसके बाद ऊपर से हल्के हाथ से पत्तियों को झटका दें। थ्रिप्स की छोटी-छोटी काली आकृतियां स्क्रीन पर घूमती हुई दिखाई देंगी। मोबाइल का स्क्रीन फंक्शनल नहीं रहने पर काला होता है जिस पर सफेद रंग के थ्रिप्स कीट आसानी से दिख जाएंगे। एक पत्ती पर थ्रिप्स की संख्या 200 तक हो सकती है। इसी तरह से आम के बौर के नीचे मोबाइल रखकर झटका देने से थ्रिप्स की मौजूदगी का पता लगाया जा सकता है।
अगर पेड़ के कुछ हिस्सों में ही कोमल पत्तियां हैं और वहां थ्रिप्स का प्रकोप दिखाई दे रहा है, तो केवल उन्हीं हिस्सों में छिड़काव करना सही होगा, जिसे ‘सिलेक्टिव स्प्रे’ कहा जाता है। अगर थ्रिप्स का प्रभाव पूरे पेड़ पर फैल चुका है, तो कुछ दिनों बाद पूरे पेड़ पर छिड़काव करना बेहतर रहेगा। मार्च में जब फूलों की खिलने की प्रारंभिक अवस्था हो या फल सेटिंग का समय हो, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL का 0.3 मिली प्रति लीटर पानी में या थायोमेथोक्साम 25% WG का 0.3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इससे आम की फसल और उसका उपजाव बेहतर होगा।