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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > अस्वर्गीकृत > ईवी को मिली नई उड़ानप्रोत्साहन देने वाले राज्यों की बिक्री में उछाल
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ईवी को मिली नई उड़ानप्रोत्साहन देने वाले राज्यों की बिक्री में उछाल

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को लेकर एक नई क्रांति देखने को मिल रही है। खासतौर पर उन राज्यों में जहाँ सरकारों ने समय रहते EV नीति अपनाई, वहाँ EV की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है। कर्नाटक देश का पहला राज्य था, जिसने साल 2017 में EV को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष नीति लागू की थी। इसके बाद अन्य राज्यों ने भी EV के क्षेत्र में कदम बढ़ाए और जनवरी 2021 तक 15 राज्यों ने अपनी EV नीति बना ली।

Industrial Empire
Last updated: 01/05/2025 6:21 PM
Industrial Empire
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Electronic Vehicles
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BY- NISHA MANDAL

Contents
EV रेस में कर्नाटक सबसे आगेEV क्रांति को कर्नाटक का सपोर्टमहाराष्ट्र बना EV नीति का रोल मॉडलEV को मिल रहा रफ्तार

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को लेकर एक नई क्रांति देखने को मिल रही है। खासतौर पर उन राज्यों में जहाँ सरकारों ने समय रहते EV नीति अपनाई, वहाँ EV की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है। कर्नाटक देश का पहला राज्य था, जिसने साल 2017 में EV को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष नीति लागू की थी। इसके बाद अन्य राज्यों ने भी EV के क्षेत्र में कदम बढ़ाए और जनवरी 2021 तक 15 राज्यों ने अपनी EV नीति बना ली। अप्रैल 2025 तक यह संख्या बढ़कर 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुँच गई है।

EV नीति का उद्देश्य सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना ही नहीं है, बल्कि इससे प्रदूषण कम करना, पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता घटाना और देश को एक हरित (ग्रीन) और टिकाऊ परिवहन प्रणाली की ओर ले जाना भी है। कई राज्यों ने EV निर्माण इकाइयों को आकर्षित करने के लिए टैक्स में छूट, ज़मीन की रियायती दरें और तेज़ मंज़ूरी जैसी सुविधाएँ भी दी हैं। इससे न केवल वाहनों की बिक्री में तेजी आई है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार की ‘फेम’ (FAME) योजना और बैटरी निर्माण को लेकर दी जा रही सब्सिडी ने भी EV सेक्टर को काफी बढ़ावा दिया है। अब शहरों के साथ-साथ छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में भी लोग इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने लगे हैं।

EV रेस में कर्नाटक सबसे आगे

EV उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्यों को शुरुआती EV नीति का सबसे अधिक लाभ मिला है। इन राज्यों में EV की बिक्री उन राज्यों की तुलना में लगभग दोगुनी रही है, जिन्होंने बाद में नीति लागू की। कर्नाटक की बात करें, तो 2018-19 में EV की बिक्री बहुत कम थी। दोपहिया EV की बिक्री 0.01%, चार पहिया EV की 0.16% और तिपहिया EV की बिक्री सिर्फ 0.35% थी। लेकिन 2024-25 में यह आंकड़े बढ़कर 11.25%, 4.42% और 12.73% हो गए हैं।

EV क्रांति को कर्नाटक का सपोर्ट

कर्नाटक सरकार ने फरवरी 2025 में अपनी EV नीति को और भी मजबूत किया। अब राज्य का लक्ष्य ₹50,000 करोड़ का निवेश लाना, एक लाख लोगों को रोजगार देना और 2,600 EV चार्जिंग स्टेशन बनाना है। इससे EV सेक्टर को नई रफ्तार मिली है। फाइनेंसियल ईयर 2025 में पूरे भारत में कुल 19.6 लाख EV की बिक्री हुई। पिछले पांच सालों में EV बाजार में 14 गुना बढ़ोतरी और EV बिक्री में 9 गुना उछाल आया है।

महाराष्ट्र बना EV नीति का रोल मॉडल

महाराष्ट्र की नई EV नीति भी एक प्रभावशाली उदाहरण बनकर उभरी है। इस नीति के तहत ₹11,373 करोड़ की प्रोत्साहन राशि रखी गई है। इसमें EV खरीद पर छूट, EV निर्माण को बढ़ावा, चार्जिंग स्टेशन का विस्तार और टोल टैक्स में राहत जैसे प्रावधान शामिल हैं। इसके असर से EV बिक्री में बड़ा सुधार हुआ है। तिपहिया EV की बिक्री 1.91% से बढ़कर 10.41%, दोपहिया EV की बिक्री 3.19% से बढ़कर 10.17% और चार पहिया EV की बिक्री 1.84% से बढ़कर 3.46% हो गई है।

EV को मिल रहा रफ्तार

विशेषज्ञों का मानना है कि EV को बढ़ावा देने के लिए नीति आधारित प्रोत्साहन बेहद कारगर साबित हो रहे हैं। सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर EV को अपनाने के लिए सक्रिय हो रहे हैं। कर में छूट, सस्ते ऋण, पार्किंग नियमों में रियायत और विनिर्माण प्रोत्साहन जैसे कदमों ने EV को आम लोगों के लिए सुलभ बना दिया है। हालांकि, EV चार्जिंग स्टेशनों की कमी और जमीन की ऊँची लागत जैसी कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं। इनका समाधान सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) और चार्जिंग स्टेशनों के लिए रियायती दर पर भूमि देने जैसे उपायों से किया जा सकता है।

EV नीति ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को एक नई दिशा दी है। जिन राज्यों ने समय रहते यह नीति अपनाई, वहाँ EV सेक्टर ने तेजी से तरक्की की है। अब ज़रूरत है कि बाकी राज्य भी इस हरित क्रांति का हिस्सा बनें और भारत को स्वच्छ, टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की ओर ले जाएँ।

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