मारुति सुज़ुकी इंडिया (एमएसआईएल) के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने कहा कि भारत में कार खरीदना अब ज़्यादातर उन 12% परिवारों तक ही सीमित रह गया है, जिनकी सालाना आमदनी 12 लाख रुपये या उससे ज़्यादा है। बाकी 88% लोगों के लिए अब छोटी कारें भी खरीदी की पहुंच से बाहर हो गई हैं। उन्होंने बताया कि बढ़ती महंगाई, उच्च कर दर और नियामकीय उपायों के कारण कारों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे आम आदमी के लिए कार खरीदना मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा, छोटी कारों पर भी नए नियमों और सुरक्षा मानकों के कारण उत्पादन लागत बढ़ी है, जो इन कारों को और महंगा बना रहा है। ऐसे में, देश के अधिकांश लोग अब कार खरीदने के बजाए सार्वजनिक परिवहन या अन्य विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।

कंपनी के वित्तीय परिणाम के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, “अगर देश के 88 प्रतिशत लोग ऐसे आय स्तर पर हैं, जहां वे 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा कीमत वाली कारें खरीदने में सक्षम नहीं हैं, तो आप उच्च कार बिक्री में वृद्धि की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, नियामक उपायों की वजह से छोटी और सस्ती कारें भी अब इन लोगों के लिए अफोर्डेबल नहीं रही हैं।” उन्होंने आगे कहा कि बढ़ती कीमतों और कड़े सुरक्षा मानकों ने छोटे वाहनों की बिक्री को प्रभावित किया है। अगर यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में कारों की पहुंच और भी सीमित हो जाएगी। यह स्थिति देश की ऑटो इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है, क्योंकि कार खरीदने के लिए एक बड़ी संख्या में लोग अब महंगी कारों के बजाय सस्ती और छोटी कारों की ओर रुख करते थे।
उन्होंने कहा, “हमने इस साल देखा है कि छोटी कारों (सिडैन और हैचबैक) की बिक्री में करीब 9 प्रतिशत की कमी आई है। अगर देश में 88 प्रतिशत लोग ऐसी कारें खरीदते हैं और उनकी बिक्री में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है, तो फिर आप वृद्धि कहां से लाएंगे?” वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में मारुति सुज़ुकी इंडिया (एमएसआईएल) का समेकित शुद्ध लाभ साल दर साल 4.3 प्रतिशत घटकर 3,711 करोड़ रुपये रह गया। छोटी कारों की बिक्री में लगातार गिरावट और शहरी बाजारों में कमजोर मांग के कारण शुद्ध लाभ पर दबाव पड़ा है।
सायम के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2024-25 में कुल यात्री वाहनों की बिक्री 43 लाख वाहनों तक पहुंची, जो पिछले साल के मुकाबले सिर्फ दो प्रतिशत अधिक है। भार्गव ने कहा, “भारत में प्रति 1,000 लोगों में से केवल 34 लोगों के पास ही कार है, जो इस संदर्भ में शायद दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे कम है। एक विकासशील देश के लिए, यात्री वाहनों की बिक्री में सालाना केवल दो से तीन प्रतिशत की वृद्धि दर से कारों की पहुंच में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आ सकता। यह कुछ हद तक चिंता का विषय है, खासकर इस कारण से कि जैसा सायम ने अनुमान लगाया है, 2025-26 का साल भी ज्यादा अच्छा नहीं होगा। विकास दर एक से दो प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।”