कृषि मंत्रालय द्वारा आयोजित एक डिजिटल सर्वे में देशभर में फसलों से संबंधित कई रोचक आंकड़े सामने आए हैं। केंद्र सरकार ने तीन लाख गांवों का डिजिटल सर्वे कराया है, जो 14 राज्यों के 435 जिलों में फैले हुए हैं। यह सर्वे सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम, डिजिटल क्रॉप सर्वे (DCS), के तहत सम्पन्न किया गया है। इस सर्वे के परिणाम भविष्य में फसलों और कृषि से जुड़े फैसलों के लिए लाभकारी और सकारात्मक साबित होंगे। इसी के साथ आगामी समय में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अच्छा संकेत मान रहे हैं।
21 जिलों में किए गए सर्वे के अनुसार, पिछले खरीफ सीजन में फसल क्षेत्र में 18.93 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिससे यह क्षेत्र 20.9 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। वहीं, पारंपरिक तरीके से जानकारी एकत्रित करने पर यह आंकड़ा 16.8 लाख हेक्टेयर था। यानी, डिजिटल सर्वे के माध्यम से क्षेत्र का रकबा ज्यादा पाया गया, जो पारंपरिक तरीके से किए गए सर्वे से अधिक था।
धान, गन्ने और मूंगफली के रकबे में बढ़ोतरी
मंत्रालय द्वारा किए गए अनुमान के अनुसार, 2024 के खरीफ सत्र में धान के रकबे में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, गन्ने के रकबे में 48 प्रतिशत और मूंगफली के रकबे में 111 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है। इसके अलावा, छोटे बाजरे की किस्मों जैसे काकुन में 8,500 हेक्टेयर का विस्तार हुआ, जबकि कोदो के रकबे में 32,900 हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। यह बाजरे की किस्में ऐसी हैं, जिन्हें आमतौर पर अन्य फसलों की तुलना में कम प्राथमिकता दी जाती है। किसान अब पारंपरिक फसलों के अलावा पोषण से भरपूर और जलवायु के अनुकूल फसलों की ओर भी बढ़ रहे हैं। खासकर बाजरा, जो जलवायु के हिसाब से लचीला और पोषण से समृद्ध होता है, भारतीय कृषि के लिए एक स्थिर और लाभकारी विकल्प बन सकता है। इन फसलों के बढ़ते रकबे से यह साफ दिख रहा है कि कृषि क्षेत्र में विविधता और स्थिरता की दिशा में बदलाव हो रहा है।
कृषि क्षेत्र का नया लक्ष्य
कृषि मंत्रालय लगातार डिजिटल क्रॉप सर्वे (डीसीएस) का विस्तार करने में लगा हुआ है। मंत्रालय की योजना है कि 2025 के खरीफ सीजन तक इस महत्वपूर्ण पहल को सभी बड़े राज्यों के हर जिले और अन्य राज्यों के कम से कम एक जिले तक पहुंचाया जाए। यह पहल सरकार के डिजिटल कृषि मिशन के तहत चल रही है। कृषि सचिव ने बताया कि इस पहल की मदद से राष्ट्रीय स्तर पर फसल बोने के आंकड़ों का एक विस्तृत और सटीक स्रोत तैयार किया जा सकेगा। इससे सरकार को कृषि योजनाओं और नीतियों को और अधिक प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी। साथ ही, किसान भी फसलों के उत्पादन और उनकी खेती के बारे में सही और समय पर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनकी फसल उत्पादकता में सुधार हो सकेगा। यह पहल कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता और विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।