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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > अन्य > खेती का नया फॉर्मूला: कम खर्च, दोगुनी कमाई
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खेती का नया फॉर्मूला: कम खर्च, दोगुनी कमाई

मल्टीलेयर फार्मिंग अपनाकर किसान एक ही मौसम में कई फसलों की पैदावार ले सकते हैं, जिससे उनकी आय में इजाफा होता है।
Last updated: 19/04/2025 5:41 AM
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Industrial Empire
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Multilayer Farming
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हर किसान का सपना होता है कि उसकी खेती से अच्छी कमाई हो, लेकिन बदलते समय और जलवायु के कारण पारंपरिक खेती से मुनाफा कम होता जा रहा है। ऐसे में कई किसान अब नई तकनीकों की ओर रुख कर रहे हैं। वे पारंपरिक खेती छोड़कर उद्यानिकी (बागवानी) फसलें, जैविक खेती और मिश्रित खेती अपना रहे हैं, जिससे कम लागत में भी उन्हें बेहतर पैदावार और बढ़िया मुनाफा मिल रहा है।

तो चलिए आज हम आपको एक ऐसे ही किसान की सफलता की कहानी के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने खेती की एक खास तकनीक अपनाकर अपनी किस्मत बदल डाली। इस तकनीक से न सिर्फ उन्होंने खुद अच्छी आमदनी की, बल्कि उनके रास्ते पर चलकर कई और किसान भी लखपति बन चुके हैं। इस खास खेती विधि की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल न के बराबर होता है। इसके जमीन की उर्वरकता बनी रहती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। साथ ही सिंचाई और श्रम पर कम खर्च आता है, जिससे कुल लागत घट जाती है।

इस तरीके से करते है खेती

गुजरात राज्य के बनासकांठा जिले के कांकरेज तालुका स्थित शिहोरी गांव के किसान जयेंद्र सिंह डाभी पहले पारंपरिक खेती करते थे। जिससे उन्हें सीमित आमदनी होती थी, औ खेती भी लाभकारी नहीं बन पा रही थी। तब जयेंद्र सिंह ने समय के साथ खेती की नई तकनीकों को अपनाने का फैसला किया और यहीं से उनकी सफलता की नई कहानी शुरू हुई। उन्होंने मल्टीलेयर फार्मिंग का तरीका अपनाया, जिसमें एक ही खेत में कई स्तरों पर अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है। इसके साथ ही उन्होंने टपक सिंचाई प्रणाली को भी अपनाया, जिससे पानी की बचत हुई और फसलें भी बेहतर तरीके से पनपने लगीं।

आज जयेंद्र अपने खेत में ऑर्गेनिक तरीके से कई तरह की सब्जियां जैसे – बैंगन, मिर्च, चौलाई, ग्वार, गिलकी, मक्का, खीरा, तरबूज और शकरकंद का उत्पादन कर रहे हैं। जैविक खेती की वजह से आज उनकी फसलों की गुणवत्ता बेहतर है, जिससे उन्हें बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। मल्टीलेयर फार्मिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम ज़मीन में अधिक उत्पादन देने वाली विधि है। इससे न केवल लागत में कमी आती है, बल्कि खेत की उत्पादकता और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है। जयेंद्र सिंह की मेहनत और नवाचार की सोच आज कई किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है। इससे न वे सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल खेती कर रहे हैं, बल्कि कम लागत में ज्यादा लाभ कमाकर एक सफल किसान उद्यमी के रूप में भी उभर रहे हैं।

इतने लाख का उत्पादन होने कि उम्मीद

जयेंद्र सिंह डाभी, एक प्रगतिशील किसान, ने अपनी सात बीघा जमीन पर मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक अपनाकर खेती को नया आयाम दिया है। उन्होंने अपने खेत में 15 अलग-अलग तरह की सब्जियों की बुवाई की है। रासायनिक खाद के बजाय वे गोबर और जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और फसल भी स्वस्थ रहती है। जयेंद्र बताते हैं कि बुवाई, बीज और सिंचाई में अब तक करीब 1 लाख रुपये का खर्च आया है।

इसी के साथ उनके खेतों में अब सब्जियां भी तैयार होने लगी हैं और अब तक 3 लाख रुपये की सब्जियां बिक चुकी हैं। जयेंद्र को उम्मीद है कि कुल 12 लाख रुपये की सब्जियां बिकेंगी। इसके आलावा, उन्होंने बताया कि इस तकनीक की खासियत यह है कि एक ही खेत में अलग-अलग फसलों को उगाकर जगह का अधिकतम उपयोग किया जाता है, जिससे उत्पादन और मुनाफा दोनों बढ़ता है।
जयेंद्र की इस सफलता ने उन्हें अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। वे कहते हैं कि मल्टीलेयर फार्मिंग और जैविक खेती को अपनाकर कोई भी किसान कम लागत में अच्छी कमाई कर सकता है। इसी के साथ उनकी यह पद्धति न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। जयेंद्र अब आसपास के किसानों को इस तकनीक के बारे में जागरूक कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें और अच्छा मुनाफा कमा सकें।

आखिर क्या है मल्टीलेयर फार्मिंग

मल्टीलेयर फार्मिंग जिसे बहु-परत खेती भी कहते हैं। यह एक ऐसी आधुनिक तकनीक है, जिसमें एक ही खेत में एक साथ कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं। इस विधि में जमीन के अंदर उगने वाली फसलें जैसे आलू, गाजर और मूली, जमीन पर उगने वाली फसलें जैसे पालक, धनिया और मेथी, और बेलों पर चढ़ने वाली फसलें जैसे लौकी, खीरा और करेला की बुवाई की जाती है। इस तरह खेत की हर इंच जगह का सही उपयोग होता है।

मल्टीलेयर फार्मिंग में मचान बनाकर बेल वाली सब्जियों को ऊपर की ओर बढ़ने दिया जाता है, जबकि नीचे की जमीन पर अन्य फसलें उगाई जाती हैं। इससे न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा भी मिलता है। यह तकनीक मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और पानी के उपयोग को भी बेहतर बनाती है। साथ ही, जैविक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल करके फसलें स्वस्थ और पर्यावरण के लिए सुरक्षित रहती हैं।
यह विधि छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए फायदेमंद है। मल्टीलेयर फार्मिंग अपनाकर किसान एक ही मौसम में कई फसलों की पैदावार ले सकते हैं, जिससे उनकी आय में इजाफा होता है। इसके अलावा, यह तकनीक बाजार में साल भर सब्जियों की उपलब्धता सुनिश्चित करती है। मल्टीलेयर फार्मिंग न केवल खेती को लाभकारी बनाती है, बल्कि टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल खेती को भी बढ़ावा देती है।

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