मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले बोलिया नगर इलाके में रहने वाले तीन किसान दोस्त मोहित पाटीदार, दीपक पाटीदार और मोहम्मद आदिल अफगानी ने हाइड्रोपोनिक तकनीक के माध्यम से खेती करके अपनी किस्मतें बदल ली है। दरअसल, खेती में आधुनिक या नई तकनीकों का उपयोग करने से फसलों का उत्पादन और उनकी गुणवत्ता में काफी सुधार होता है। यानी, इन नई तकनीकों के कारण खेती की प्रक्रिया में सकारात्मक बदलाव आए हैं, जिससे फसलें अधिक और बेहतर उगाई जा रही हैं। कुछ ऐसा की कमाल किया है, इन तीन किसान दोस्तों ने। नई तकनीकों, जैसे हाइड्रोपोनिक (पानी के माध्यम से) और एरोपोनिक (हवा के माध्यम से) खेती के जरिए, बिना मिट्टी के भी सब्जियां, फल और अन्य फसलें उगाई जा सकती हैं। वहीं इन तीन किसानों ने हाइड्रोपोनिक तकनीक के माध्यम से यानि कि बिना मिट्टी के चाइनीज खीरे की खेती कर रहे हैं। खेती की इस नई तकनीक का सहारा लेने से तीनों के दिन बदल गए है, क्योंकि इससे उनके आय में पहले से अधिक बढ़ोतरी हुई है।
गुजरात से सीखकर अपनाई नई खेती की तकनीक
एक साल पहले, तीनों दोस्तों ने यूट्यूब पर हाइड्रोपोनिक तकनीक से संबंधित एक वीडियो देखा था। जिससे प्रेरित होकर, उन्होंने इस तकनीक को खेती में अपनाने का विचार किया। इसके बाद, उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर इस तकनीक के बारे में जानकारी हासिल की। इसी के साथ उन तीनों ने सरकारी योजनाओं के बारे में भी अचे से समझा और जाना। फिर ये तीनों दोस्त इस तकनीक को और अच्छे से समझने के लिए गुजरात की राजधानी गांधीनगर गए, जहां उन्होंने हाइड्रोपोनिक तकनीक से एक साल में तीन बार फसल लेने का सही तरीका सीखा। जबकि पारंपरिक मिट्टी वाली खेती में केवल दो बार ही फसल होती है। इसके अलावा, इस तकनीक से उत्पादन में भी वृद्धि होती है और बिना मिट्टी के खेती में पाए जाने वाले कीड़े, बैक्टीरिया और फफूंद से होने वाली बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है। क्योंकि मिट्टी में अक्सर इन रोगों के कारक होते हैं, जबकि बिना मिट्टी के खेती में इनका असर कम होता है, जिससे फसलों को बीमारियों से बचाने में मदद मिलती है।
सरकार की 25 लाख की सब्सिडी से किसानों की किस्मत बदली
दीपक ने बताया कि तीनों दोस्तों ने हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करने के लिए पॉली हाउस बनाने हेतु 42 लाख रुपये का लोन लिया और कुल मिलाकर 55 लाख रुपये का खर्च किया। इसमें उन्हें सरकार की ओर से 25 लाख रुपये की सब्सिडी भी मिली। हाइड्रोपोनिक तकनीक का उपयोग कर खीरे की खेती करने से वे केवल चार महीने में 11 लाख रुपये की आय हासिल कर चुके हैं। चूंकि इस तकनीक से एक साल में तीन बार खीरे की फसल उगाई जा सकती है और स्थितियां अनुकूल बनी रहती हैं, ऐसे में उनकी सालाना आय 30-40 लाख रुपये से अधिक हो सकती है।
यह तकनीक न केवल उनकी आय में बढ़ोतरी कर रही है, बल्कि खेती के तरीके को भी पर्यावरण के अनुकूल बना रही है। मिट्टी के बिना खेती करने से पानी की बचत होती है और फसल पर कीटनाशकों का भी असर कम पड़ता है। इसके साथ ही, हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करने के दौरान फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है, क्योंकि इसे नियंत्रित वातावरण में उगाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें अच्छे दामों पर उन्नत और ताजे उत्पाद की बिक्री का लाभ मिल रहा है। अब तीनों दोस्तों का सपना है कि वे इस मॉडल को और भी बड़े पैमाने पर फैलाएं और अधिक किसानों को इस तकनीक से लाभान्वित करें।