BY- NISHA MANDAL
भारतीय दवा उद्योग को मिली राहत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले को लेकर जहां वैश्विक स्तर पर चिंता जताई जा रही थी, वहीं भारत की फार्मा इंडस्ट्री के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। ट्रंप प्रशासन द्वारा कुछ दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध जैसी आशंकाएं जताई जा रही थीं, लेकिन वास्तव में इसका कोई बड़ा प्रभाव भारतीय दवा निर्यात पर नहीं पड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका और भारत के बीच दवा सप्लाई की जो मजबूत श्रृंखला बनी हुई है, वह अब भी कायम है।
भारत बना विश्वसनीय फार्मा
कोविड काल से लेकर अब तक भारत विश्व का प्रमुख फार्मा हब बना हुआ है। अमेरिका जैसे विकसित देश भी भारत से जेनरिक दवाओं और विशेष API (Active Pharmaceutical Ingredients) की आपूर्ति पर निर्भर हैं। ट्रंप के आदेश के बावजूद भारत से अमेरिका को जरूरी दवाओं की आपूर्ति लगातार जारी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत की विश्वसनीयता पर कोई आंच नहीं आई है।
निर्यात में नहीं कोई रुकावट
भारत की फार्मा कंपनियों ने बताया कि ट्रंप के आदेश के बाद भी उन्हें अमेरिका से ऑर्डर्स मिल रहे हैं और दवा निर्यात में किसी तरह की बाधा नहीं आई है। फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से अब तक दवा निर्यात में कोई गिरावट दर्ज नहीं की गई है। इससे यह साफ है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में स्थिरता बनी हुई है।
फार्मा सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत

भारत की दवा कंपनियों को उम्मीद है कि ट्रंप के इस फैसले का दीर्घकालिक असर नहीं होगा। अमेरिकी FDA भी भारतीय दवा कंपनियों के प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देता रहा है। यह भरोसा भारतीय फार्मा सेक्टर के लिए एक सकारात्मक संकेत है और यह आने वाले समय में निवेश और उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेगा।