तुअर दाल की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी है। वहीं, सरकार ने तुअर की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसकी जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी है। पिछले दो सालों से कम पैदावार के कारण तुअर दाल की कीमतें अत्यधिक बढ़ गई थीं, जिससे मंडियों में इसके दाम आसमान छूने लगे थे। दामों में इस भारी बढ़ोतरी देखते हुए सरकारी एजेंसियों ने तुअर दाल की खरीदारी रोक दी थी। हालांकि, इस साल तुअर की अच्छी उपज के कारण दामों में गिरावट आई है। इस गिरावट के बावजूद भी सरकारी एजेंसियां किसानों से तुअर दाल की खरीद कर रही हैं।
पिछले दो वर्षों में तुअर की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 35 प्रतिशत ज्यादा चल रही थीं, जिसके कारण सरकारी एजेंसियों ने इसकी खरीद नहीं की थी। लेकिन इस बार अच्छी पैदावार के कारण एजेंसियों ने तुअर की खरीद में तेजी दिखाई है। दरअसल, सरकारी एजेंसियों ने अब तक 2024-25 खरीफ सीजन में महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में MSP पर प्रीमियम किस्म की तुअर दाल की 2.4 लाख टन (MT) से ज्यादा की खरीदी की है।
लातूर (महाराष्ट्र) जो देश के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से एक है। यहाँ पर तुअर दाल की मंडी कीमतें इस समय 2024-25 सीजन के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 7550 रुपये प्रति क्विंटल से कम, 6800 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 7100 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं। वहीँ, पिछले दो सालों में तुअर की पैदावार कम होने के कारण मंडी में दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए थे और कीमतें 9,000 से 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच गई थीं, जो MSP से काफी ज्यादा थीं। और इन सबका कारण यह था कि सरकारी एजेंसियां बफर स्टॉक बनाने के लिए तुअर की खरीद नहीं कर रही थीं।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सरकार ने दलहनों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने, किसानों को प्रोत्साहित करने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से 2024-25 के लिए राज्य के उत्पादन का 100 प्रतिशत अरहर, उड़द और मसूर की खरीद पीएसएस (मूल्य समर्थन योजना) के तहत मंजूर की है। इसके अलावा, पीएसएस के तहत अरहर, उड़द और मसूर पर 25 प्रतिशत की मौजूदा खरीद सीमा को 2023-24 और 2024-25 सत्रों के लिए हटा दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि दलहनों में आत्मनिर्भरता सरकार का लक्ष्य है, और इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्रमुख तुअर उत्पादक राज्यों में तुअर की खरीद बढ़ाई जा रही है।