भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने 2022 में एक नियम जारी किया था, जिसे 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। इस नियम के तहत, प्लास्टिक पैकेजिंग में पुनर्नवीनीकरण सामग्री का उपयोग अनिवार्य होगा। विशेष रूप से, खाद्य पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाली PET बोतलों में कम से कम 30% पुनर्नवीनीकरण सामग्री (recycled PET) का उपयोग करना जरूरी होगा, और हर साल यह अनुपात बढ़ाया जाएगा।
हालांकि, इस नियम के लागू होने से पहले ही कई पेय कंपनियों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि पुनर्नवीनीकरण PET (recycled PET) की उपलब्धता बहुत सीमित है। वर्तमान में सिर्फ 18 खाद्य-ग्रेड recycled PET निर्माता हैं, जिनमें से केवल पांच एफएसएसएआई द्वारा लाइसेंस प्राप्त हैं। ऐसे में पुनर्नवीनीकरण सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति को सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
इसके अलावा, पुनर्नवीनीकरण प्रक्रिया की उच्च लागत और अवसंरचना की कमी के कारण कंपनियों को ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। कुछ कंपनियां तो इस नियम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का सोच रही हैं, क्योंकि उनका मानना है कि मौजूदा सुविधाएं और निर्माण प्रक्रिया इस को पूरा करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए उद्योग को नई तकनीकों और पुनर्नवीनीकरण प्रक्रियाओं को अपनाने की आवश्यकता होगी। सरकार और कंपनियों के बीच बेहतर संवाद और सहयोग से इस चुनौती को हल किया जा सकता है। इसके साथ ही, प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, ताकि पैकेजिंग उद्योग के नए नियमों का सही तरीके से पालन हो सके।
इन सभी समस्याओं के बावजूद, सरकार का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक कचरे को कम करना और पुनर्नवीनीकरण को बढ़ावा देना है। अगर उद्योग और सरकार मिलकर काम करें, तो यह बदलाव बिना किसी परेशानी के लागू किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। साथ ही, पुनर्नवीनीकरण सामग्री के बढ़ते उपयोग से प्लास्टिक की जरूरत भी कम होगी और इसका सकारात्मक असर पर्यावरण पर पड़ेगा।