BY- NISHA MANDAL
भारतीय उद्योग जगत अब तेजी से ऐसे कदम उठा रहा है जो कारोबारी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। वैश्विक अस्थिरता, साइबर खतरों, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और आर्थिक मंदी जैसे कारक उद्योगों के लिए गंभीर जोखिम बन चुके हैं। ऐसे में जोखिमों को केवल पहचानना ही नहीं, बल्कि उनका पूर्वानुमान लगाकर ठोस रणनीति बनाना जरूरी हो गया है।
नई रणनीति

इस नई सुरक्षा रणनीति का उद्देश्य उद्योगों को आंतरिक और बाहरी खतरों से सुरक्षित करना है। इसमें जोखिम मूल्यांकन (Risk Assessment), साइबर सुरक्षा की मजबूती, कर्मचारियों को सुरक्षा प्रशिक्षण और ऑटोमेशन आधारित निगरानी प्रणाली शामिल है। कंपनियां अब जोखिमों की पहचान के लिए डेटा-ड्रिवन एनालिटिक्स का सहारा ले रही हैं, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक सटीक और समयबद्ध हो सके।
साइबर सुरक्षा

डिजिटल युग में भारतीय उद्योग अब अपनी साइबर सुरक्षा व्यवस्था को पुनः मजबूत कर रहे हैं। डेटा लीक, रैंसमवेयर अटैक और ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाओं को रोकने के लिए एआई आधारित सुरक्षा प्रणाली लागू की जा रही है। खासकर बैंकिंग, ई-कॉमर्स और विनिर्माण क्षेत्रों में साइबर सुरक्षा का स्तर पहले से कहीं अधिक उन्नत किया जा रहा है।
सरकार और उद्योगों की साझेदारी
इस रणनीति को लागू करने में सरकार और निजी कंपनियों के बीच सहयोग बढ़ा है। केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं को सुरक्षा के साथ जोड़ा है, जिससे MSMEs से लेकर बड़ी कंपनियों तक सभी को संरक्षित किया जा सके। इसके अलावा राज्य सरकारें भी उद्योगिक नीतियों में सुरक्षा मानकों को अनिवार्य बना रही हैं।
भविष्य की दिशा
नई सुरक्षा रणनीति से उद्योग जगत को दीर्घकालिक स्थिरता मिलने की उम्मीद है। यह न केवल व्यापारिक जोखिमों को कम करेगी, बल्कि निवेशकों और ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ाएगी। आने वाले वर्षों में यह रणनीति भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिकाऊ बनाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।