अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध अब अपनी सबसे खराब स्थिति में पहुँच चुका है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ टैरिफ की ऊंची दीवारें खड़ी कर दी हैं, जिनकी दरें इतनी ज्यादा हैं कि अब अमेरिका के लिए चीन में और चीन के लिए अमेरिका में अपनी वस्तुओं को बेचना लगभग नामुमकिन हो गया है। यह व्यापार युद्ध कब और किस स्तर तक जाएगा, इसका कोई अनुमान नहीं लगा पा रहा है। अमेरिका का उद्देश्य चीन के आर्थिक दबदबे को पूरी तरह खत्म करना है, और इसी अक्रामक नीति के कारण अमेरिका ने चीन को मैदान में क्लीन बोल्ड कर दिया है। हालांकि, इस ट्रेड वॉर का एक सकारात्मक असर भारत पर भी पड़ रहा है। भारतीय शेयर बाजार इस बात का इशारा कर रहे हैं कि भारत को इस स्थिति से फायदा हो सकता है।
भारतीय शेयर बाजार अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को भारत के लिए एक अनुकूल मौके के रूप में देख रहा है। पिछले चार कारोबारी सत्रों में वैश्विक रुझानों के विपरीत बाजार में आई तेजी इस विश्वास को और पुख्ता करती है। यह संकेत देता है कि भारत इस भू-राजनीतिक और आर्थिक माहौल का फायदा उठाने की स्थिति में है। निवेशकों और नीति निर्माताओं के लिए यह एक अहम संकेत है कि वे इस मौके का पूरा फायदा उठाने के लिए सही कदम उठाएं। हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि बाजार की धारणाएँ समय-समय पर बदल सकती हैं। अन्य वैश्विक कारक भी भारतीय बाजार पर असर डाल सकते हैं। इसलिए सतर्क निगरानी रखना और समग्र आर्थिक दृष्टिकोण बनाए रखना बेहद जरूरी है।
भारतीय शेयर बाजार में चौथे दिन लगातार बढ़त
भारतीय शेयर बाजार में लगातार चौथे दिन तेजी रही है। बीएसई सेंसेक्स 1,509 अंक (1.96%) बढ़कर 78,553 अंक पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 414 अंक (1.77%) चढ़कर 23,851 पर पहुंच गया। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल मार्केट कैप 4.33 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 419.33 लाख करोड़ रुपये हो गया। बैंकिंग शेयरों में बढ़त, एफआईआई की खरीदारी, जापान और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता, डॉलर में कमजोरी, और अमेरिकी टैरिफ में छूट से बाजार को समर्थन मिला। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने महंगाई की चिंता को कम किया, जो बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत साबित हुआ। अमेरिकी टैरिफ नीतियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की चिंता के बावजूद भारतीय बाजार लगातार तेजी के रास्ते पर है। वहीं, दुनिया के अन्य अधिकांश बाजारों में इस कारण भारी गिरावट देखी जा रही है। इसका मतलब है कि भारतीय बाजार की तेजी पूरी तरह से वैश्विक ट्रेंड से अलग है। अब यह समझना जरूरी है कि ऐसा क्यों हो रहा है।
अर्थव्यवस्था और बाजारों पर इसका प्रभाव
आमतौर पर भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों के साथ तालमेल बनाए रखते हैं। अगर वैश्विक बाजार में गिरावट होती है, तो भारतीय बाजार में भी नकारात्मक रुझान देखने को मिलता है। लेकिन, पिछले चार सत्रों में यह ट्रेंड टूट चुका है, जो दर्शाता है कि कुछ विशेष कारण हैं, जो भारतीय बाजार को ऊपर की ओर धकेल रहे हैं, भले ही वैश्विक स्तर पर निगेटिविटी हो। यह संभावना जताई जा रही है कि बाजार को यह एहसास हो चुका है कि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में भारत को लाभ हो सकता है। यही कारण है कि यह विपरीत रुझान देखा जा रहा है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव आ रहा है। कंपनियां अब चीन पर अपनी निर्भरता कम करने और अन्य विकल्पों की तलाश करने पर मजबूर हो गई हैं। निवेशक इस बदलाव को समझते हुए मान रहे हैं कि भारत इस स्थिति का फायदा उठा सकता है।
क्या होंगे फायदे?
व्यापार युद्ध के कारण चीन से बाहर जाने वाली कंपनियां भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में देख सकती हैं, जिससे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि की संभावना है। अगर कंपनियां भारत में अपनी उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करती हैं या मौजूदा इकाइयों का विस्तार करती हैं, तो इससे भारत के विनिर्माण क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। इसके अलावा, चीन से प्रतिस्पर्धा कम होने के कारण भारत को विभिन्न क्षेत्रों में अपने निर्यात को बढ़ाने का मौका मिलेगा। इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से भारत की आर्थिक विकास दर में तेजी आ सकती है।