भारत की सस्ती दवाओं पर अमेरिका की मेहरबानी, कंपनियों को मिलेगा अरबों का फायदा!

अमेरिका ने हाल ही में अपने आयात नियमों में बदलाव करते हुए कुछ देशों पर नए टैरिफ (कर या शुल्क) लागू किए हैं, लेकिन भारत की दवा कंपनियों को इस बदलाव से राहत दी गई है यानी उन्हें इन नए टैरिफ से बाहर रखा गया है।

Industrial Empire
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अमेरिका ने हाल ही में अपने आयात नियमों में बदलाव करते हुए कुछ देशों पर नए टैरिफ (कर या शुल्क) लागू किए हैं, लेकिन भारत की दवा कंपनियों को इस बदलाव से राहत दी गई है यानी उन्हें इन नए टैरिफ से बाहर रखा गया है। भारत की प्रमुख दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन “इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA)” ने इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि यह संगठन उन कंपनियों का समूह है जो भारत के कुल दवा निर्यात का 80% से अधिक हिस्सा दुनिया भर में भेजती हैं।

अमेरिका का भारत की दवा कंपनियों को इस छूट देने का निर्णय भारत के दवा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इससे न केवल भारत की दवा कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखने में मदद मिलेगी, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ी राहत का संकेत है। भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा जन स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रहा है, अपनी सस्ती और प्रभावी दवाओं के लिए मन जाता है।

इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) का मानना है कि इस फैसले से भारतीय कंपनियों को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने में मदद मिलेगी, और इससे अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण बाजारों में उनके निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, इस निर्णय से भारत के दवा निर्यात में वृद्धि हो सकती है, जो वैश्विक स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को और मजबूत करेगा।

IPA के महासचिव सुदर्शन जैन ने अमेरिका के इस फैसले को एक सकारात्मक कदम बताया और कहा कि यह निर्णय यह दिखाता है कि भारत की सस्ती और जीवन रक्षक दवाएं पूरी दुनिया के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि ये दवाएं न केवल लोगों की सेहत को बेहतर बनाने के लिए जरूरी हैं, बल्कि आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में भी इनका अहम योगदान है। इसका मतलब यह है कि भारत द्वारा निर्मित दवाएं न केवल स्वास्थ्य के मामले में मददगार हैं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए भी जरुरी हैं।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार निरंतर बढ़ रहा है, और दोनों देशों ने “मिशन 500” के तहत आपसी व्यापार को $500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इस मिशन में दवा उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि भारत अमेरिका को किफायती और प्रभावी दवाओं का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।

IPA (इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस) का कहना है कि भारतीय दवा उद्योग दोनों देशों के व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इससे दवा की आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी, और हर किसी को सस्ती दवाएं लगातार उपलब्ध होती रहेंगी। इसका मतलब यह है कि भारत के दवा उद्योग का योगदान अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेगा और दुनिया भर में सस्ती दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।

दवा उद्योग ने भारत सरकार से आयात शुल्क हटाने की की अपील

IPA ने भारत सरकार से भी एक जरूरी मांग की है। संगठन का कहना है कि आयातित दवाओं पर लगने वाले 5-10% कस्टम ड्यूटी को हटाया जाना चाहिए। भारत हर साल अमेरिका को $8.7 अरब डॉलर की दवाएं निर्यात करता है, जबकि अमेरिका से केवल $800 मिलियन डॉलर की दवाएं खरीदता है। अगर सरकार कस्टम ड्यूटी हटा देती है, तो इससे भारतीय दवा उद्योग को और भी फायदा होगा।

भारत के दवा उद्योग को होगा बड़ा फायदा

अमेरिका का यह निर्णय भारत की दवा कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति और मजबूत करने का अवसर मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत सरकार दवा उद्योग को और अधिक सहूलियतें देती है, तो भारत अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकता है और दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्यातक देशों में अपनी जगह और पक्की कर सकता है। अब यह देखना बाकी है कि अमेरिका भविष्य में इस क्षेत्र पर कोई नया टैरिफ (शुल्क) लगाता है या नहीं। लेकिन फिलहाल, भारतीय दवा कंपनियों के लिए यह एक बड़ी राहत की बात है।

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