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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > अस्वर्गीकृत > मध्य प्रदेश के किसान की मेहनत ने बंजर जमीन को बनाया सोने की खान, जाने कैसे?
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मध्य प्रदेश के किसान की मेहनत ने बंजर जमीन को बनाया सोने की खान, जाने कैसे?

Industrial Empire
Last updated: 30/03/2025 7:33 AM
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मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के कसरावद तहसील के बालसमुद गांव के रहने वाले दिनेश पाटीदार ने 20 साल पहले अपनी पुश्तैनी बंजर जमीन पर खेती शुरू की थी। उस समय इस जमीन में न कोई फसल उगती थी, न ही सिंचाई की कोई व्यवस्था थी। लेकिन दिनेश ने कभी हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत से इस जमीन को करोड़ों की कमाई करने का जरिया बना दिया। वो कहते हैं न अगर हमारे मन में आत्मविश्वास और मेहनत की आग हो, तो कोई भी मुश्किलें हमें रोक नहीं सकती। इसी का एक उदाहरण हैं, दिनेश पाटीदार। जिन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते रहें और आज अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहें हैं।

बंजर जमीन को बनाया सोना

दिनेश पाटीदार को अपनी पुश्तैनी जमीन से कोई खास आमदनी नहीं हो रही थी, इसलिये उन्होंने कुछ नया करने का फैसला किया। उन्होंने पौधों और कृषि के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी जुटाई, साथ ही विलुप्त प्रजातियों के बारे में भी अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने शौकिया तौर पर 100 पौधों से नर्सरी की शुरुआत की। पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद, साल 2006 में दिनेश पाटीदार ने 3 लाख रुपये का लोन लेकर नर्सरी का काम शुरू किया। हालांकि, उनकी जमीन बंजर थी और सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं थी। बिजली विभाग से कई बार संपर्क करने के बाद भी खेतों तक बिजली के तार नहीं पहुंचे। लेकिन दिनेश ने हार नहीं मानी। उन्होंने सिंचाई के लिए सोलर पैनल लगाए और नर्सरी के काम को सही दिशा में बढ़ाना शुरू किया।

बंजर जमीन से की करोड़ों की कमाई

दिनेश पाटीदार की कठिन मेहनत और लगन ने सफलता की राह खोली, और उनकी नर्सरी से उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा। उन्होंने 20 सालों में अपनी बंजर जमीन को पूरी तरह बदल दिया, और अब उनके खेतों में पहले से काफी बदलाव आ चुका है। इसके साथ ही, उनकी प्रेरणा से आसपास के किसान भी परंपरागत खेती के अलावा औषधीय और जैविक खेती, साथ ही बागवानी के कार्य में लगने लगे हैं। आज, उनकी नर्सरी से पौधे महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, और मध्य प्रदेश के 500 से अधिक स्थानों पर भेजे जाते हैं। उनकी नर्सरी में हमेशा 5 से 6 लाख पौधे तैयार रहते हैं, और वह इन पौधों को बेचकर हर महीने 10 से 13 लाख रुपये का मुनाफा कमाते हैं। इसके साथ ही, वह अपनी सफलता का एक हिस्सा 15 लोगों को रोजगार देकर समाज में योगदान भी दे रहे हैं।

अलग- अलग तरीके के पौधे तैयार होते हैं

दिनेश पाटीदार की नर्सरी में 200 से अधिक किस्मों के पौधे तैयार होते हैं, जो विविध प्रकार की जरूरतों को पूरा करते हैं। फलदार पौधे 6 महीने से लेकर एक साल में तैयार होते हैं, जबकि फॉरेस्ट पौधे पूरे साल में तैयार होते हैं और औषधीय व सजावटी पौधे केवल 3 महीने में तैयार हो जाते हैं। उनकी नर्सरी में आम, अमरूद, अनार, आंवला, किन्नू, संतरा, नींबू, खजूर, माल्टा, इज्जाफा और थाई एप्पल बेर जैसे कई प्रकार के पौधे मिलते हैं। इसके अलावा, यहां काली हल्दी, लोहगल और गरुड़ फल जैसे औषधीय पौधों की भी उपलब्धता है, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि इनकी मांग देशभर में बढ़ती जा रही है। दिनेश पाटीदार की नर्सरी ने अपनी गुणवत्ता और विविधता से न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई है। यहां तैयार पौधे किसानों, बागवानी प्रेमियों और औषधीय पौधों के व्यवसाय में रुचि रखने वालों के लिए एक अनमोल संसाधन बन चुके हैं।

TAGGED:barren landFarmergold mineMadhya Pradesh
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