BY- NISHA MANDAL
उत्तर प्रदेश में खेती को टिकाऊ और लाभकारी बनाने के लिए सरकार लगातार नई योजनाएं ला रही है। हाल ही में राज्य सरकार ने कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट (CBG Plant) को बढ़ावा देने की योजना पर तेज़ी से काम शुरू किया है। यह प्लांट खेती से निकलने वाले जैविक अवशेषों जैसे गोबर, पराली और सब्ज़ियों के कचरे से गैस बनाकर किसानों को आमदनी का नया रास्ता दिखा रहा है।

कृषि कचरे से बनेगा बायो-ईंधन
इस प्लांट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे न केवल पर्यावरण को फायदा होता है, बल्कि किसानों को अपनी बेकार समझी जाने वाली चीजों से भी मुनाफा मिलने लगता है। पहले जहां खेत में बचा हुआ कचरा जलाया जाता था या फेंक दिया जाता था, वहीं अब वही कचरा कीमती संसाधन बनकर सामने आ रहा है। इससे तैयार गैस को वाहनों में ईंधन की तरह या घरेलू गैस के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
जैविक खाद से घटेगी लागत
किसानों के लिए यह योजना इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि इसमें उन्हें गोबर या फसल का अवशेष बेचने के पैसे मिलते हैं। साथ ही, इस प्रक्रिया से जो जैविक खाद निकलती है, वह खेती के लिए मुफ्त में उपलब्ध हो जाती है, जिससे रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होती है। खेती की लागत घटती है और उत्पादकता बढ़ती है।
CBG योजना पर सरकार दे रही सब्सिडी

राज्य सरकार ने बायोगैस प्लांट लगाने वालों को सब्सिडी देने की घोषणा की है और इसके लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और बैंक लोन की भी सुविधा दी जा रही है। किसान स्वयं, किसान समूह या FPO इस योजना में भाग ले सकते हैं। इस योजना के ज़रिए उत्तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नया उत्साह देखने को मिल रहा है। खेती के साथ-साथ किसान ऊर्जा उत्पादन में भी भागीदार बन रहे हैं। यह पहल ना केवल आय में वृद्धि का जरिया है बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।