कर्ज़ के बोझ तले दबी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को खरीदने की दौड़ तेज़ हो गई है। इस कंपनी के लिए एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी इंडिया लिमिटेड (ARCIL) की बोली को हाल ही में खारिज कर दिया गया है। पिछले साल के आखिर में कुल 26 कंपनियों ने इस संकटग्रस्त कंपनी को खरीदने में रुचि दिखाई थी, लेकिन अब ARCIL के बाहर होने के बाद यह संख्या घटकर 25 हो गई है। इन 25 दावेदारों में देश के बड़े-बड़े कारोबारी नाम शामिल हैं। अडानी एंटरप्राइजेज, डालमिया भारत, वेदांता ग्रुप, पतंजलि आयुर्वेद और जिंदल पावर जैसी बड़ी कंपनियाँ इस रेस में हैं। इसके अलावा, जीएमआर ग्रुप, कोटक ऑल्टरनेट एसेट मैनेजर्स, ओबेरॉय रियल्टी, टॉरेंट पावर, जेपी इन्फ्राटेक और ऑथम इनवेस्टमेंट जैसी कंपनियाँ भी इस सौदे में दिलचस्पी ले रही हैं।
जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड पर बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों का हजारों करोड़ का कर्ज़ है, और इसे बेचकर कर्जदाताओं को अपनी राशि वापस पाने की उम्मीद है। ऐसे में ये सौदा न सिर्फ खरीदारों के लिए फायदे का हो सकता है, बल्कि कर्ज चुकाने की प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
जयप्रकाश एसोसिएट्स देश की सबसे बड़ी कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी प्रक्रियाओं में से एक मानी जा रही है। कंपनी का कारोबार इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी और सीमेंट जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है, हालांकि कंपनी की सीमेंट यूनिट्स फिलहाल नॉन-ऑपरेशनल हैं। फिलहाल, कंपनी पर भारी कर्ज़ है और इसके कई प्रोजेक्ट्स काफी समय से देरी का शिकार हैं। इसी वजह से इसे दिवालिया प्रक्रिया के तहत लाया गया है ताकि लेनदारों को कुछ राहत मिल सके। इसी के साथ इस बिक्री प्रक्रिया में शुरुआती तौर पर 26 कंपनियों ने रुचि दिखाई थी, लेकिन अब ARCIL की बोली खारिज होने के बाद 25 कंपनियाँ मैदान में बची हैं। अडानी एंटरप्राइजेज, वेदांता, डालमिया भारत, पतंजलि आयुर्वेद और जिंदल पावर जैसी बड़ी कंपनियाँ इस सौदे में दिलचस्पी ले रही हैं। सूत्रों का मानना है कि जयप्रकाश एसोसिएट्स के पास अभी भी कुछ महत्वपूर्ण असेट्स हैं, जो खरीदारों के लिए आकर्षक हो सकते हैं, खासकर उन कंपनियों के लिए जो इंफ्रास्ट्रक्चर या रियल एस्टेट सेक्टर में विस्तार करना चाहती हैं।
बिकने को तैयार
कर्ज में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड पर कुल मिलाकर 57,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। अंतरिम समाधान पेशेवर द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों के अनुसार, सबसे बड़ा कर्ज भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का है, जिसका कंपनी से 15,000 करोड़ रुपये बकाया है। इसके बाद आईसीआईसीआई बैंक का नाम आता है, जिसका कंपनी पर 9,204 करोड़ रुपये का बकाया है। जयप्रकाश एसोसिएट्स के पास देशभर में कई कीमती संपत्तियाँ हैं। कंपनी के पास आगरा, नोएडा, दिल्ली और मसूरी में होटल हैं। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के चुर्कट, रेवत, साधवा खुर्द और चुनार में इसके सीमेंट प्लांट स्थित हैं। साथ ही, नोएडा के पास यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एरिया में भी कंपनी के पास कीमती जमीन है।
बैंक और अन्य कर्जदाता उम्मीद कर रहे हैं कि इन संपत्तियों की बिक्री के ज़रिए वे अपने बकाया का कुछ हिस्सा वसूल कर सकेंगे। बता दें कि आईसीआईसीआई बैंक ने सबसे पहले साल 2018 में जयप्रकाश एसोसिएट्स के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया (Insolvency Proceedings) शुरू करने के लिए याचिका दायर की थी। अब जबकि इस कंपनी को खरीदने के लिए कई बड़े कारोबारी घराने दिलचस्पी दिखा रहे हैं, बैंकों को भी उम्मीद है कि इस प्रक्रिया से उन्हें कुछ वित्तीय राहत जरूर मिल सकती है।