भारत के रियल एस्टेट सेक्टर ने कैलेंडर ईयर 2023 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3 प्रतिशत का योगदान दिया। इसी के साथ, इस सेक्टर से 2030 तक देश की आर्थिक वृद्धि में 13 प्रतिशत का योगदान होने का अनुमान है। केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शहरीकरण, बढ़ती आय, ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ योजना और ‘रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी’ (RERA) जैसी सरकारी पहलों के कारण यह सेक्टर 2023 में 40 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2030 तक 83 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
रियल एस्टेट उद्योग का यह अभूतपूर्व विकास विशेष रूप से देश में बढ़ती शहरीकरण की दर, बढ़ती मध्यवर्गीय आबादी और उच्च गुणवत्ता वाली आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए बढ़ती मांग से प्रेरित है। इसके अलावा, सरकारी नीतियों और सुधारों ने इस क्षेत्र को और भी मजबूत किया है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है और निर्माण क्षेत्र में तेजी आई है। इस सेक्टर की वृद्धि से न केवल रोजगार सृजन होगा, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी, जिससे भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिति और मजबूत होगी।
ग्रीन फिट-आउट का मतलब है पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा दक्षता वाले डिज़ाइन, जबकि टेक-इनेबल्ड डिज़ाइन का मतलब है ऐसे डिज़ाइन जो नई तकनीकों का उपयोग करते हैं, जैसे स्मार्ट ऑफिस सुविधाएं। हाइब्रिड वर्कस्पेस सॉल्यूशन से आशय है ऑफिस और घर से काम करने के बीच का मिश्रण, जो अब कामकाजी दुनिया में एक सामान्य तरीका बन गया है। इन सभी उभरते रुझानों के कारण, भारत में आधुनिक कार्यालयों का माहौल बदल रहा है, और वे पहले से कहीं ज्यादा डिज़ाइन और तकनीकी दृष्टि से उन्नत हो रहे हैं।
भारत की शहरी आबादी, जो 2030 तक 600 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, विशेष रूप से टियर 1 और 2 शहरों में कस्टमाइज्ड वर्कप्लेस की बढ़ती मांग को प्रेरित करेगी। यह बदलाव न केवल व्यवसायों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करेगा, बल्कि कार्यस्थलों को अधिक लचीला, तकनीकी रूप से सक्षम और कर्मचारी केंद्रित बनाएगा। केयरएज एडवाइजरी एंड रिसर्च की निदेशक और तन्वी शाह ने कहा, “ऑफिस फिट-आउट सेक्टर में अगले पांच सालों में 16 प्रतिशत की सीएजीआर से वृद्धि होने की उम्मीद है, जो बहुराष्ट्रीय निगमों और आईटी, बीएफएसआई और ई-कॉमर्स सेक्टर में उच्च-स्तरीय ऑफिस स्पेस के अवशोषण द्वारा प्रेरित है।
इसके अतिरिक्त, यह बदलाव भारत में कार्यस्थलों के डिज़ाइन और तकनीकी नवाचार में महत्वपूर्ण सुधार ला सकता है, जैसे स्मार्ट ऑफिस, ग्रीन बिल्डिंग समाधान, और हाइब्रिड वर्किंग मॉडल। कार्यस्थलों को कर्मचारियों की बदलती जरूरतों और काम करने के नए तरीके के हिसाब से अनुकूलित किया जा रहा है। इसके साथ ही, इन सुधारों से उत्पादकता और कार्य-जीवन संतुलन भी बेहतर होगा, जिससे कर्मचारियों को एक अधिक प्रेरणादायक और आरामदायक कार्य वातावरण मिलेगा।