वोडाफोन आइडिया पर ब्रेक: हिस्सेदारी बढ़ाने से सरकार ने किया इनकार

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ कर दिया है कि सरकार की वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।

Industrial Empire
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केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ कर दिया है कि सरकार की वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि वोडाफोन आइडिया एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी (PSU) बन जाए। सिंधिया ने कंपनी को सख्त संदेश देते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि वोडाफोन आइडिया अपने प्रदर्शन में सुधार करे और बाज़ार में खुद को साबित करे।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने पहले ही कंपनी की मदद की है और अब आगे बढ़ने की जिम्मेदारी वोडाफोन आइडिया की खुद की है।गौरतलब है कि सरकार के पास इस समय वोडाफोन आइडिया में करीब 33% हिस्सेदारी है, जो कंपनी को राहत पैकेज के तहत इक्विटी में बदले गए बकाया AGR (Adjusted Gross Revenue) के चलते मिली थी।

सरकार की हिस्सेदारी बढ़कर हुई 48.99%

हाल ही में वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) ने स्पेक्ट्रम नीलामी की बकाया राशि करीब 36,950 करोड़ रुपये को इक्विटी में बदल दिया है। इसके बाद सरकार की कंपनी में हिस्सेदारी बढ़कर 48.99% हो गई है। इससे पहले सरकार की हिस्सेदारी लगभग 22.6% थी। इस इक्विटी कन्वर्ज़न के बाद सरकार वोडाफोन आइडिया की सबसे बड़ी शेयरधारक बन गई है, लेकिन इसके बावजूद संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ किया है कि सरकार की अब इसमें और हिस्सेदारी बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार नहीं चाहती कि वोडाफोन आइडिया एक सरकारी उपक्रम (PSU) की शक्ल ले, ले। सिंधिया ने कंपनी को यह साफ संदेश दिया कि अब उसे अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए खुद पर निर्भर होना होगा और बाज़ार में टिके रहने के लिए बेहतर प्रदर्शन करना पड़ेगा।

सरकारी हिस्सेदारी बढ़ी तो, बढ़ेगा निगरानी दबाव

गौर करने वाली बात यह है कि अगर भविष्य में सरकार की वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी और बढ़ती है, तो कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) की श्रेणी में आ सकती है। ऐसे में यह कंपनी कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) और अन्य सरकारी निगरानी संस्थाओं के दायरे में आ जाएगी।

इसका मतलब होगा कि कंपनी की वित्तीय और प्रशासनिक गतिविधियों पर पहले से कहीं ज्यादा सख्त नजर रखी जाएगी, और इसकी जवाबदेही भी बढ़ जाएगी। शायद इसी वजह से सरकार फिलहाल इसमें और निवेश करने से पीछे हट रही है, ताकि वोडाफोन आइडिया एक निजी कंपनी की तरह ही काम करती रहे और बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बनाए रख सके।

सरकार नहीं बनाएगी VIL को PSU

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ तौर पर कहा है कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) को अब खुद अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी। उन्होंने कहा, अब यह वोडाफोन आइडिया की जिम्मेदारी है कि वह अच्छा प्रदर्शन करे। सरकार के पास फिलहाल कंपनी में लगभग 49% हिस्सेदारी है, लेकिन हमारा इरादा इसे सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) बनाने का बिल्कुल नहीं है। हम अपनी हिस्सेदारी को यहीं सीमित रखना चाहते हैं।

यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार ने हाल ही में स्पेक्ट्रम बकाया राशि को इक्विटी में बदलकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। हालांकि, इसके बावजूद सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब आगे निवेश या हिस्सेदारी बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। सरकार चाहती है कि वोडाफोन आइडिया एक स्वतंत्र निजी कंपनी की तरह काम करे और बाज़ार में प्रतिस्पर्धा के लिए खुद को तैयार रखे, ना कि एक सरकारी संस्था की तरह काम करे, जिस पर नियमों और जांच एजेंसियों की सख्त निगरानी हो।

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