टमाटर की खेती में बेहतर पैदावार के लिए यह जरूरी है कि इसके तरीकों में भी बदलाव किया जाए, ताकि बंपर उत्पादन के साथ-साथ छप्परफाड़ कमाई भी हो सके। इसलिए आजकल किसान टमाटर की खेती के लिए मल्चिंग विधि का उपयोग करके अच्छी कमाई कर रहे हैं। आज हम आपको मल्चिंग विधि से टमाटर की खेती करने के बारे में बताएंगे, जिससे न केवल उत्पादन दोगुना हो, बल्कि इससे पैसा भी अच्छा खासा कमाया जा सके।
टमाटर की फसल को खेत में लगाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। अगर टमाटर की फसल लगानी हो, तो सबसे पहले सिंचाई की उचित व्यवस्था करना जरूरी है। अगर आप मल्चिंग तकनीक का उपयोग करके टमाटर की खेती करते हैं, तो यह बहुत ही फायदेमंद रहेगा। मल्चिंग विधि का उपयोग करने का मतलब यह हैं कि खेत में गीली घास, प्लास्टिक शीट, या जैविक पदार्थ बिछाए जाते हैं, इससे मिट्टी की नमी बनी रहती हैं। साथ ही टमाटर के पौधों को ज्यादा से ज्यादा अधिक मात्रा में पोषण और बेहतर विकास में मदद मिलता है। इस तकनीक से फसलों की सुरक्षा भी अच्छे तरीके से की जा सकती है, जिससे समय रहते खेतों में लगी फसलों को कीड़ों और अन्य समस्याओं से बचाया जा सकता है।
टमाटर की खेती करने वालों के लिए तो एक खुशखबरी भी हैं। दरअसल, बिहार सरकार टमाटर की खेती करने के लिए सब्सिडी दे रही हैं। मल्चिंग से होने वाले फायदों को देखते हुए बिहार सरकार राज्य में इसे बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा, बिहार सरकार उद्यान निदेशालय और कृषि विभाग की ओर से किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। उद्यान निदेशालय के अनुसार, किसानों को मल्चिंग लगाने के लिए यूनिट कॉस्ट पर 50 प्रतिशत राशि सब्सिडी के रूप में दी जाती है। यह राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में डीबीटी प्रक्रिया के माध्यम से हस्तांतरित की जाती है।
पुरे सब्जियों में टमाटर की खेती करना सबसे अच्छा और बेहतर ऑप्शन होता हैं। क्यूंकि इसकी खेती करने में कम लागत और कम मेहनत लगती हैं। इसके साथ ही टमाटर एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती करने से किसान घर बैठे लगातार 3 से 4 महीने तक अच्छी कमाई कर सकता हैं। टमाटर के अच्छे उत्पादन के लिए सही समय पर जैविक और रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए। क्यंकि यह पौधों की वृद्धि में तेजी लाता है और फलों की गुणवत्ता को और भी बेहतर बनाता है।