सहजन की खेती को हमेशा फायदे की खेती बताया जाता है और इसकी फली को स्वास्थ्य का खजाना माना जाता है। लेकिन तमिलनाडु के मदुरै जिले में यह दावा कुछ किसानों पर लागू नहीं हो रहा। यहां पर सहजन की खेती और खपत बड़े पैमाने पर होती है। इसी के साथ उत्पादन भी अच्छा हुआ है, लेकिन खपत में कमी आई है। इस कारण मंडी-बाजार में सहजन का भाव 10-20 रुपये किलो तक गिर गया है, जिससे किसान काफी परेशान हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, किसानों के पास अपनी उपज को बेचने का कोई बेहतर रास्ता नहीं बचा, तभी उन्हें अपनी सहजन की फसल को कूड़े की ढेरों में फेंकने पर मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि इसे ढोने और बेचने में उन्हें घाटा ही हो रहा है।
मदुरै के केंद्रीय बाजार में जिले भर से और आस-पड़ोस के जिलों से सहजन की भारी मात्रा में आपूर्ति हो रही है। बाजार में भी इसकी कीमत 10 रुपये से लेकर 20 रुपये किलो तक पहुंच गई है। इसलिए व्यापारियों का कहना है कि बाजार में सहजन की लगातार बढ़ोतरी होने के कारण कीमतों में गिरावट हो रही है। यानि कि भारी मात्रा में सहजन आने से आपूर्ति बढ़ रही है, जिसके कारण कीमतों में गिरावट बढ़ती ही जा रही है।
व्यापारी सहजन के लिए केवल 5 से 6 रुपये प्रति किलो की दर दे रहे हैं, जिससे किसानों का यात्रा खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा है। यहाँ तक किसान अपनी फसलों को दो से तीन दिन तक स्टॉक में रखने के बाद भी उसे बेच नहीं पा रहे हैं। इस वजह से, किसान मजबूरन अपनी फसल को कूड़ेदानों में फेंकने पर मजबूर हो गए हैं।
व्यापारियों ने कहा कि बाजार में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा न होने के कारण इतनी बड़ी और भारी मात्रा में सब्जियां बर्बाद हो रही हैं। इसलिए व्यापारियों ने आवाज़ उठाते हुए बाजार में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था कराने के लिए तुरंत कार्रवाई की मांग की है।