उत्तर भारत में गर्मी के महीने, खासकर जून और जुलाई में पके आम का बाजार में आने का हर व्यक्ति बेसब्री से इंतजार करता है। लेकिन इस आम की फसल के लिए अप्रैल और मई का महीना बेहद नाजुक होता है, क्योंकि इस समय अगर आम के बागों की सही देखभाल की जाए और फल सुरक्षित रहें, तो जून से अगस्त तक आम की मिठास का आनंद लिया जा सकता है।
अप्रैल महीने से ही आम पर एक खतरनाक कीट, फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई) का प्रकोप शुरू हो जाता है। इस कीट के कारण आम की फसल को गंभीर नुकसान होता है, जिससे न केवल उपज प्रभावित होती है, बल्कि कई बार आम के निर्यात पर भी असर पड़ता है। फल मक्खी के कारण भारतीय आमों पर कुछ देशों द्वारा प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है। DRPCAU एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-समस्तीपुर, बिहार के डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी के हेड, डॉ. एसके सिंह के अनुसार, फल मक्खी के हमले के कारण आम की उपज में 90 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।
इसलिए, अप्रैल और मई के महीनों में आम के बागों में खास ध्यान देने की जरूरत होती है। बागवानों को फल मक्खी के नियंत्रण के उपायों को अपनाना चाहिए, जैसे कि नियमित रूप से बागों का निरीक्षण करना, कीटनाशकों का सही उपयोग करना और बागों में स्वच्छता बनाए रखना। अगर इन उपायों को समय पर लागू किया जाए तो आम की फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है, और इससे न केवल किसानों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि भारतीय आमों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बेहतर पहचान बनेगी।
आम को फल मक्खी से बचाने के उपाय
आम के बाग में प्रति हेक्टेयर 15-20 फरोमैन ट्रैप लगाकर फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई) को रोका जा सकता है। इन ट्रैप्स को बाग की निचली शाखाओं पर 4 से 6 फीट की ऊंचाई पर लटकाना चाहिए। ट्रैप्स के बीच 35 मीटर की दूरी बनाए रखें। ट्रैप्स को सीधे सूर्य की किरणों में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी प्रभावशीलता में कमी हो सकती है।
इसके अलावा, ट्रैप्स की नियमित जांच करना जरूरी है। अगर ट्रैप्स में कोई फल मक्खी फंसी हो, तो उसे तुरंत हटा दें और ट्रैप को साफ करके फिर से लटका दें। इन ट्रैप्स को लगाने के साथ-साथ कीटनाशकों का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि कीटनाशकों का सही और उचित मात्रा में ही प्रयोग करें ताकि आम की फसल पर उनका कोई बुरा असर न हो। साथ ही, बाग में स्वच्छता बनाए रखना भी जरुरी है, क्योंकि गिरे और सड़े हुए फल भी फल मक्खी के प्रकोप को बढ़ा सकते हैं।
ट्रैप को आम की घनी शाखाओं के बीच में नहीं बांधना चाहिए। इसे निचली पत्तियों के ठीक ऊपर, पेड़ के छायादार हिस्से में लटकाना चाहिए। ट्रैप बाग में स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए, ताकि यह आसानी से देखा जा सके कि इसे कहां बांधा गया है। ट्रैप को फल पकने से 60 दिन पहले बांधना चाहिए, और फिर हर 6 से 10 सप्ताह के अंतराल पर नर फ्रूट फ्लाई फेरोमोन ल्यूर की सुगंध बदलनी चाहिए। फल मक्खी को केमिकल दवाओं से भी नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि फल के ऊपर रसायनों का प्रयोग करने से बचना चाहिए, ताकि फल की गुणवत्ता पर असर न पड़े और उपभोक्ताओं के लिए यह सुरक्षित रहे।
आम के बाग में केमिकल मुक्त बचाव
ट्रैप एक साधारण मेल एनीहिलेशन तकनीक (MAT) पर आधारित होता है। इसमें एक छोटा प्लास्टिक कंटेनर होता है, जिसमें प्लाईवुड का एक टुकड़ा लगा होता है, जिसे मिथाइल यूजेनॉल और डाइक्लोरोवोस से उपचारित किया जाता है। यह ट्रैप पेड़ पर लटका दिया जाता है और नर फल मक्खी को आकर्षित करता है। जब नर मक्खी ट्रैप में फंस जाती है, तो मादा मक्खी प्रजनन करने में असमर्थ हो जाती है, जिससे फल संक्रमण से मुक्त रहते हैं। इस प्रकार के ट्रैप का उपयोग करने से बिना केमिकल के आम की फसल को इस खतरनाक कीट से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, इस तरह के प्राकृतिक उपायों से फसल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, जो पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होते हैं।