जहां रासायनिक उर्वरकों के कारण खेतों की उर्वरता लगातार घटती जा रही है, वहीं बिहार के रोहतास जिले के दिलीप कुमार सिंह ने बंजर और बेकार पड़ी जमीनों को उपजाऊ बना कर सब्ज़ी की खेती में एक नई मिसाल पेश की है। वे हर साल 20-25 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। एक समय था जब दिलीप कुमार सिंह बाजारों में सब्ज़ी बेचते थे, लेकिन पिछले 32 सालों से वे किराए पर ली गई जमीनों पर खेती कर रहे हैं। न केवल वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि कई अन्य परिवारों के लिए भी रोज़गार का साधन बन चुके हैं। दिलीप कुमार सिंह बताते हैं कि वे हमेशा वही ज़मीन किराए पर लेते हैं, जो बंजर हो और जहाँ कोई फसल नहीं उगाई जाती। फिर वे उस ज़मीन को उपजाऊ बनाकर सब्ज़ी की खेती शुरू करते हैं।
पढ़ाई छोड़ खेती में ढूंढी कामयाबी
रोहतास जिले के महद्दीगंज गांव के रहने वाले दिलीप कुमार सिंह बताते हैं कि आर्थिक तंगी के कारण उन्हें इंटरमीडिएट के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने 1990 से 1993 तक बाजार में सब्ज़ी बेचने का काम किया, लेकिन इस काम से परिवार की माली हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ। तब उन्होंने ठान लिया कि कुछ अलग किया जाए। इसी सोच के तहत उन्होंने सासाराम प्रखंड के मिशिरपुर गांव में 2 एकड़ बंजर ज़मीन लीज़ पर लेकर खेती शुरू की। चूंकि ज़मीन बंजर थी, इसलिए यह सस्ती दर पर मिल गई थी। शुरुआत में उन्हें खेती से अच्छा मुनाफा हुआ, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा।
दिलीप कुमार सिंह की बचत और खर्च की समझ
दिलीप कुमार सिंह मौसमी और समय से पहले तैयार होने वाली सब्ज़ियों की खेती करते हैं। वे टमाटर, भिंडी, फूलगोभी, बैगन, आलू, प्याज़, मिर्च, लौकी, करेला, शिमला मिर्च जैसी विविध सब्ज़ियां उगाते हैं। इस खेती से उनकी सालाना कमाई लगभग 25 लाख रुपये होती है। हालांकि, वे अपनी कमाई का केवल 6 से 7 लाख रुपये ही परिवार पर खर्च करते हैं, जबकि बाकी की राशि वे अपनी ज़मीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने, नई तकनीकों और बेहतर किस्मों के शोध पर निवेश करते हैं।
बंजर ज़मीन को 50 एकड़ उपजाऊ खेत में बदला
दिलीप कुमार सिंह के अनुसार, 1994 से अब तक उन्होंने लगभग 50 एकड़ बंजर ज़मीन को उपजाऊ बना दिया है। यह सारी ज़मीन लीज़ पर ली गई थी, जिसे पहले लोग बेकार समझकर छोड़ देते थे। दिलीप सिंह ने अपनी मेहनत और कृषि कौशल से इन ज़मीनों को उत्पादन में बदल दिया। अब वे इन ज़मीनों से सीजन के दौरान प्रतिदिन 12 से 15 टन और ऑफ-सीजन में 3 से 4 टन सब्ज़ियों का उत्पादन करते हैं। ये सब्ज़ियां न केवल स्थानीय बाजारों में, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में भी भेजी जाती हैं, जिससे उनकी खेती से एक बड़ा आर्थिक नेटवर्क बन गया है।
कृषि नवाचार के लिए दिलीप कुमार सिंह को मिला सम्मान
साल 2012-13 में उन्हें आईसीएआर, नई दिल्ली द्वारा प्रतिष्ठित “जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनकी कृषि में नवाचारों, मेहनत और समर्पण की सराहना का प्रतीक है। उनके योगदान ने न केवल उनके खेतों की उपज बढ़ाई, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए नई दिशा और प्रेरणा का काम किया। दिलीप कुमार सिंह की यह यात्रा यह साबित करती है कि सही तकनीकों और नवाचारों के साथ खेती को एक लाभकारी और समृद्ध पेशे के रूप में बदला जा सकता है, और यही उनकी सफलता की कुंजी है।