मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में देर रात आए तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को हुए नुकसान पर चिंता जताई है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों, एसडीएम और तहसीलदारों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रभावित इलाकों का तुरंत दौरा करें और मौके पर जाकर नुकसान का सर्वे कराएं। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि सर्वे की रिपोर्ट जल्द से जल्द तैयार कर संबंधित विभाग को भेजी जाए, ताकि 24 घंटे के अंदर प्रभावित किसानों के बैंक खातों में क्षतिपूर्ति की राशि भेजी जा सके।
उन्होंने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि मुआवजा वितरण में किसी भी तरह की लापरवाही या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार अन्नदाताओं के साथ है और उन्हें हरसंभव सहायता देने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग और कृषि विभाग को भी सतर्क रहने को कहा गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत राहत कार्य शुरू किया जा सके।
सीएम योगी ने कहा है कि अगर किसी भी अधिकारी की तरफ से राहत कार्यों में लापरवाही सामने आती है, तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि किसानों को समय पर मदद मिलनी चाहिए और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गौरतलब है कि 9 अप्रैल की आधी रात को अचानक मौसम बिगड़ गया था। तेज आंधी, ओलावृष्टि और कई जगहों पर आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं भी सामने आई हैं। इतना ही नहीं प्रदेश के कई जिलों में तो, किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं। ऐसे हालातों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित अधिकारियों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
सीएम योगी ने यह भी कहा कि सर्वे पूरा होने के बाद किसानों को मुआवजा बीमा कंपनियों के साथ-साथ राजस्व विभाग के माध्यम से भी दिया जाएगा, ताकि उन्हें आर्थिक सहारा मिल सके। दुस्तरी तरफ राहत विभाग ने भी खराब मौसम को देखते हुए प्रदेशभर में अलर्ट जारी किया है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि बहुत जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलें और मौसम से जुड़ी सरकारी चेतावनियों का पालन करें।सीएम ने ये भी कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि अन्नदाताओं को किसी भी तरह की परेशानी न हो और उन्हें जल्द से जल्द आर्थिक सहायता मिल सके।
जिलाधिकारी को मिला निर्देश
मुख्यमंत्री के निर्देश पर राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों, एसडीएम और तहसीलदारों को निर्देश दिए हैं कि वे ओलावृष्टि और खराब मौसम से प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत मौके पर जाकर फसलों के नुकसान का सर्वे करें। साथ ही यह भी कहा गया है कि सर्वे रिपोर्ट जल्द से जल्द राहत विभाग के पोर्टल पर अपलोड की जाए, ताकि मुआवजे की प्रक्रिया में देरी न हो।
सरकारी नियमों के अनुसार, बाढ़, ओलावृष्टि या बेमौसम बारिश के कारण अगर किसी किसान की फसल का 33 प्रतिशत या उससे अधिक नुकसान होता है, तो उसे ही मुआवजे के दायरे में शामिल किया जाता है। ऐसे मामलों में राजस्व विभाग और बीमा कंपनियों के माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता दी जाती है। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि प्रभावित किसानों को त्वरित राहत पहुंचाई जाए और उन्हें दोबारा खड़ा होने में हर संभव मदद दी जाए। क्यूंकि किसानों की भलाई और सुरक्षा प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
किसानों को मिली राहत
लखीमपुर खीरी की गोला तहसील के ग्राम खजुहा में हुए भीषण अग्निकांड में प्रभावित किसानों को फसलों के रकबे के आधार पर मुआवजा दिया गया है। कुलवीर कौर, ओपेंद्र सिंह, जशमेल सिंह को 50,000-50,000 रुपये सतवंत सिंह, संदीप सिंह और जसबीर कौर को 40,000-40,000 रुपये, बलजीत कौर को 12,150 रुपये और हरजीत सिंह को 14,550 रुपये का मुआवजा मिला हैं।
इसके अलावा, मितौली तहसील के ग्राम अलियापुर और महुआढाब में बुधवार रात आए आंधी-तूफान के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ। इस घटनाक्रम के बाद भी प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राहत विभाग ने इस नुकसान का सर्वे करना शुरू कर दिया है, ताकि जल्द से जल्द प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जा सके। राज्य सरकार किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रतिबद्ध है और हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।
‘मुख्यमंत्री खेत खलिहान अग्निकाड दुर्घटना सहायता योजना’

प्रशासन ने मुख्यमंत्री खेत खलिहान अग्निकांड दुर्घटना सहायता योजना के तहत त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रभावित किसानों को राहत प्रदान की है। उप जिलाधिकारी रेनू मिश्रा और तहसीलदार भीमसेन ने किसानों को मुआवजा चेक सौंपा। ग्राम सुधा देवी को 0.390 हेक्टेयर फसल क्षति के बदले 11,700 रुपये की सहायता राशि का चेक प्रदान किया गया। वहीं, ब्रजराज सिंह को 0.150 हेक्टेयर फसल नुकसान के बदले 4,500 रुपये का चेक दिया गया।
यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या अग्निकांड से होने वाले नुकसान के बाद त्वरित आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। प्रशासन द्वारा यह कदम किसानों को राहत देने और उनकी परेशानियों को कम करने के लिए उठाया गया है। सरकार किसानों के नुकसान की भरपाई में पूरी तत्परता से काम कर रही है, ताकि वे फिर से अपनी फसलों को उगाने में सक्षम हो सकें।