सरकार किसानों के हित में कई योजनाएं चला रही है, ताकि खेती को ज्यादा लाभदायक और आधुनिक बनाया जा सके। अब किसानों को खेती में उन्नत तकनीकों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी दिशा में, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PMRKVY) के अंतर्गत “राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता परियोजना” (National Project on Soil Health and Fertility) को लागू किया जा रहा है।
साल 2025-26 के तहत इस कार्यक्रम के अंतर्गत लखनऊ मंडल की चयनित ग्राम पंचायतों में खरीफ सीजन 2025 के लिए भारत सरकार द्वारा विकसित एक विशेष मोबाइल ऐप के माध्यम से मिट्टी के नमूने की जांच कराई जाएगी। इस ऐप की मदद से किसान अपनी खेत की मिट्टी की गुणवत्ता की जांच कर सकेंगे और उन्हें मुफ्त में मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस कार्ड में मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी दी जाएगी, जिससे किसान यह जान पाएंगे कि उनके खेत की मिट्टी को कौन-से खाद और उर्वरक की आवश्यकता है। इससे ना सिर्फ फसल की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि खाद की बचत भी होगी और मिट्टी की सेहत भी बेहतर बनी रहेगी।
मिट्टी की जांच के फायदे

मिट्टी की जांच किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इस प्रक्रिया के जरिए किसान यह जान सकते हैं कि उनकी जमीन में कौन-कौन से पोषक तत्व कम हैं और कौन-से संतुलित मात्रा में मौजूद हैं। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि उनकी भूमि की वर्तमान स्थिति कैसी है और उसे बेहतर बनाने के लिए कौन-से उर्वरक, जैविक खाद या सुधारक उपाय अपनाने की जरूरत है।
फसलों के लिए सही उर्वरक का चयन कर पाते हैं,
- खर्च में बचत कर सकते हैं,
- उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ा सकते हैं,
- और मिट्टी की लंबे समय तक उर्वरक क्षमता बनाए रख सकते हैं।
- इस तरह, मृदा परीक्षण आधुनिक और टिकाऊ खेती की दिशा में एक अहम कदम है।
कृषि विभाग ने दी किसानों को मृदा परीक्षण की सलाह
सहायक निदेशक डॉ. मनमोहन लाल ने मृदा परीक्षण लखनऊ मंडल की चयनित ग्राम पंचायतों के किसानों से अपील की है कि वे मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को सफल बनाने में सक्रिय सहयोग करें। उन्होंने कहा कि किसानों को अपने गांव में आयोजित नि:शुल्क मृदा नमूना एकत्रीकरण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहिए। यह कार्य कृषि विभाग के अधिकारी, कृषि मित्र और कृषि सखियों की निगरानी में किया जा रहा है। किसानों से अनुरोध है कि वे सरकार द्वारा विकसित मोबाइल ऐप के माध्यम से मिट्टी के नमूने जमा कराएं, ताकि उनकी भूमि की उर्वराशक्ति की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सके।
डॉ. लाल ने यह भी कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड से किसानों को यह समझने में मदद मिलेगी कि उनके खेत में किस प्रकार के पोषक तत्वों की कमी है और कौन-से उर्वरक या जैविक उपाय अपनाने चाहिए। इससे वे सही तरीके से खेती कर पाएंगे, लागत में कमी आएगी, और फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि फसल का अच्छा उत्पादन तभी संभव है जब मिट्टी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य को बनाए रखा जाए, और इसके लिए मृदा परीक्षण एक जरूरी और प्रभावशाली कदम है।
मृदा परीक्षण से बढ़ेगी भूमि की उपज क्षमता और फसल की गुणवत्ता
उप निदेशक कृषि, डॉ. मनमोहन लाल ने बताया कि मृदा परीक्षण तकनीक और अम्लीय मृदा सुधार के उपाय खेती की पैदावार बढ़ाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसान वैज्ञानिक तरीकों से मिट्टी की जांच कराकर, उसमें मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी के अनुसार संतुलित उर्वरकों और सुधारक उपायों का इस्तेमाल करें, तो न सिर्फ उनकी भूमि की उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
डॉ. लाल ने यह भी बताया कि सही तकनीकों का प्रयोग कर किसान पर्यावरण की भी रक्षा कर सकते हैं। अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से जहां भूमि की सेहत बिगड़ती है, वहीं मृदा परीक्षण के आधार पर किए गए खेती के फैसले मिट्टी को लंबे समय तक उपजाऊ बनाए रखते हैं। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे नियमित रूप से मिट्टी की जांच कराएं, और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से मिली जानकारी का उपयोग करते हुए सुधारात्मक कदम उठाएं। इससे न केवल फसल की मात्रा बढ़ेगी, बल्कि गुणवत्ता भी बेहतर होगी, जिससे उन्हें बाजार में अच्छी कीमत मिलेगी और आमदनी में इज़ाफा होगा।