प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘इंडिया स्टील 2025’ कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान बताया कि भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश बन चुका है। उन्होंने कहा कि ‘नेशनल स्टील पॉलिसी’ के तहत भारत ने 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत में बना स्टील अब देश के बड़े प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल हो रहा है — जैसे कि भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत और चंद्रयान जैसे अंतरिक्ष मिशन। यह देश की आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति का मजबूत संकेत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में आयोजित ‘इंडिया स्टील 2025’ कार्यक्रम के दौरान वीडियो संदेश के माध्यम से अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आने वाले दो दिनों में भारत के तेजी से बढ़ते स्टील सेक्टर की संभावनाओं और अवसरों पर चर्चा की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टील उद्योग, भारत की प्रगति की मजबूत नींव है और यह एक विकसित भारत की दिशा में बड़ी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों का इस कार्यक्रम में स्वागत करते हुए विश्वास जताया कि ‘इंडिया स्टील 2025’ नए विचारों को सामने लाने, नई साझेदारियों को बनाने और नवाचार को बढ़ावा देने का एक मजबूत मंच साबित होगा। यह आयोजन स्टील सेक्टर में एक नए युग की शुरुआत करेगा।
भारत में स्टील की खपत का नया रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश होने पर गर्व है। उन्होंने बताया कि ‘नेशनल स्टील पॉलिसी’ के तहत भारत ने 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। फिलहाल भारत में प्रति व्यक्ति स्टील खपत करीब 98 किलोग्राम है, जो 2030 तक बढ़कर 160 किलोग्राम तक पहुंचने की उम्मीद है। यह बढ़ती हुई खपत न सिर्फ भारत की मजबूत होती अवसंरचना और अर्थव्यवस्था को दिखाती है, बल्कि यह सरकार की नीति, दिशा और कार्यकुशलता का भी एक स्पष्ट संकेत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पाइपलाइन ग्रेड स्टील और जंग-प्रतिरोधी मिश्र धातुओं की मांग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने रेलवे अवसंरचना के तेज़ी से विस्तार का ज़िक्र करते हुए ‘शून्य आयात’ का लक्ष्य रखने और स्टील के नेट निर्यात पर ज़ोर देने की आवश्यकता बताई। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत का लक्ष्य है कि 2047 तक स्टील उत्पादन क्षमता को 500 मिलियन टन तक पहुँचाया जाए और 25 मिलियन टन स्टील का निर्यात किया जाए।
चुनौतियों के बीच कैसे आगे बढ़ रहा है स्टील सेक्टर?
प्रधानमंत्री ने यह भी माना कि स्टील उद्योग कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें सबसे बड़ी चिंता कच्चे माल की उपलब्धता है। भारत अब भी निकेल, कोकिंग कोल और मैंगनीज जैसी जरूरी सामग्रियों के लिए आयात पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक साझेदारियों को मजबूत करना, आपूर्ति शृंखला को सुरक्षित करना और तकनीकी उन्नयन पर ज़ोर देना जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि स्टील उद्योग का भविष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन, रीसायक्लिंग और बाय-प्रोडक्ट के बेहतर इस्तेमाल पर आधारित होगा। इन क्षेत्रों में नवाचार के जरिए तेज़ी से काम करना होगा। प्रधानमंत्री ने कोकिंग कोल के आयात पर चिंता जताते हुए वैकल्पिक उपायों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने DRI रूट जैसी तकनीकों को बढ़ावा देने और कोल गैसीफिकेशन के माध्यम से देश के कोयला संसाधनों का बेहतर उपयोग करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, उन्होंने सभी हितधारकों से इस दिशा में सक्रिय रूप से योगदान देने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने ग्रीनफील्ड खदानों के उपयोग के मुद्दे पर कहा कि पिछले एक दशक में खनन क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं, जिससे लौह अयस्क की उपलब्धता अब पहले से कहीं अधिक आसान हो गई है। उन्होंने बताया कि अब समय आ गया है कि आवंटित खदानों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए ताकि देश के संसाधनों का पूरा लाभ लिया जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इसमें देरी होती है तो उद्योग को नुकसान हो सकता है। प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत अब केवल घरेलू विकास पर नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की ओर भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब दुनिया भारत को एक विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाले स्टील आपूर्तिकर्ता के रूप में पहचान रही है। उन्होंने विश्वस्तरीय गुणवत्ता बनाए रखने और अपनी क्षमताओं को लगातार उन्नत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉजिस्टिक्स में सुधार, मल्टी-मोडल परिवहन नेटवर्क का विकास और लागत में कमी से भारत एक ग्लोबल स्टील हब बन सकता है।