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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > अस्वर्गीकृत > कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025: जून-अगस्त के बीच होगी यात्रा, जानिए रूट और सुविधाएँ
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कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025: जून-अगस्त के बीच होगी यात्रा, जानिए रूट और सुविधाएँ

कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल जून से शुरू होकर अगस्त तक चलेगी।

Industrial Empire
Last updated: 26/04/2025 10:28 AM
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कैलाश मानसरोवर यात्रा
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By – Nisha Mandal

कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल जून से शुरू होकर अगस्त तक चलेगी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी है। इस यात्रा के लिए दो प्रमुख रास्ते तय किए गए हैं, जो यात्रियों को कैलाश मानसरोवर तक पहुँचने में मदद करेंगे। पहला रास्ता उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे (पास) से होगा, जहाँ से 5 जत्थे भेजे जाएंगे। हर जत्थे में 50 यात्री शामिल होंगे। यह रास्ता अधिकतर उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र से होकर गुजरता है, जो यात्रियों के लिए एक अद्भुत अनुभव होगा। दूसरा रास्ता सिक्किम के नाथू ला दर्रे से होगा, जहाँ से 10 जत्थे यात्रा करेंगे। यहां भी हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। यह रास्ता सिक्किम के माध्यम से यात्रा करता है, और प्राकृतिक सुंदरता के कारण यात्रियों के लिए और भी आकर्षक है।

सरकार ने यात्रियों के लिए सभी जरूरी इंतज़ाम पूरे कर लिए हैं ताकि यात्रा सुरक्षित और सुविधाजनक हो। इसमें खानपान, आवास, चिकित्सा सेवाएँ, और यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खास व्यवस्थाएँ की गई हैं। सरकार का उद्देश्य है कि यात्री बिना किसी परेशानी के अपनी यात्रा पूरी करें और उन्हें एक यादगार अनुभव मिले।इसके अलावा, यात्रियों को यात्रा से पहले जरूरी चिकित्सा जांच, मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र, और यात्रा बीमा जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ प्राप्त करने के लिए कहा जाता है।

कैलाश यात्रा पर सरकार की एडवाइजरी

यह यात्रा कठिन और जोखिम भरी हो सकती है, क्योंकि इसमें यात्रियों को खराब मौसम और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए करीब 19,500 फीट की ऊंचाई तक चढ़ना होता है। इसके अलावा, यात्रा के दौरान ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी और शारीरिक थकान भी हो सकती है।इसलिए, यह यात्रा सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए उपयुक्त है जो पूरी तरह से शारीरिक और चिकित्सकीय रूप से फिट हों। जिनकी सेहत अच्छी हो, और जो इस यात्रा के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हों।

सरकार ने साफ कहा है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा, हादसे, या अन्य कारणों से अगर किसी यात्री को चोट लगती है, उसकी मृत्यु होती है, या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुँचता है, तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की नहीं होगी। इस यात्रा में संभावित जोखिमों के बारे में यात्रियों को पहले से ही पूरी जानकारी दी जाती है, और उन्हें अपनी पूरी जिम्मेदारी पर यात्रा करने की सलाह दी जाती है। साथ ही, यात्रियों को यात्रा के दौरान सुरक्षा उपायों का पालन करने, साथ में जरूरी चिकित्सा सामान रखने, और सुरक्षित मार्गों का पालन करने के लिए भी जागरूक किया जाता है।

यात्री खुद लें पूरी जिम्मेदारी

तीर्थयात्री यह यात्रा अपनी इच्छा से, पूरी जानकारी और जिम्मेदारी के साथ करते हैं। वे यात्रा से जुड़े खर्च, जोखिम और संभावित परिणामों को समझते हुए इसमें शामिल होते हैं। यह यात्रा कठिन परिस्थितियों और ऊँचाई वाले क्षेत्रों से होकर गुजरती है, जहाँ मौसम कभी भी बदल सकता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए तीर्थयात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे पूरी तरह से शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर ही यात्रा पर जाएँ।

अगर किसी तीर्थयात्री की सीमा पार यानी चीन में मृत्यु हो जाती है, तो सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं होगी कि वह उसके पार्थिव शरीर को भारत लाकर अंतिम संस्कार करवाए। ऐसे मामलों में चीन में ही अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जाती है। इसी कारण, सभी तीर्थयात्रियों को यात्रा से पहले एक सहमति पत्र (Consent Form) पर हस्ताक्षर करना होता है, जिसमें वे इस शर्त को स्वीकार करते हैं कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति की जिम्मेदारी उनकी स्वयं की होगी। साथ ही, यात्रियों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे यात्रा बीमा (Travel Insurance) करवा लें, जिससे किसी भी आपात स्थिति में उन्हें आर्थिक सहायता मिल सके।

इस संबंध में पूरी जानकारी विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।

कहां से शुरू होगी कैलाश यात्रा?

यह यात्रा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और उत्तराखंड, दिल्ली व सिक्किम की राज्य सरकारों के सहयोग से आयोजित की जाती है।भारत में यात्रा की पूरी व्यवस्था के लिए दो प्रमुख संस्थाएं काम करती हैं—उत्तराखंड में कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) और सिक्किम में सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी)। ये संस्थाएं यात्रियों के हर जत्थे को भोजन, आवास, चिकित्सा सुविधा और स्थानीय मार्गदर्शन जैसी सभी जरूरी सुविधाएं प्रदान करती हैं। यात्रा बहुत कठिन और ऊंचाई वाली जगहों से होकर गुजरती है, इसलिए सभी यात्रियों के लिए मेडिकल फिटनेस जरूरी है। इसके लिए दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट (डीएचएलआई) में यात्रियों की स्वास्थ्य जांच की जाती है। अगर कोई यात्री चिकित्सकीय रूप से फिट नहीं पाया जाता, तो उसे यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती।

इसके अलावा, यात्रियों को यात्रा से पहले एक ट्रेनिंग और ओरिएंटेशन सेशन में भी भाग लेना होता है, जिसमें उन्हें ऊंचाई पर जीने के तरीके, सुरक्षा उपाय, और जरूरी सावधानियों के बारे में जानकारी दी जाती है।

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