भारत की अग्रणी ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग कंपनी Attero ने एक बड़ा कदम उठाते हुए ₹100 करोड़ के निवेश की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य है देश में Rare Earth Elements (REE) की रिसाइक्लिंग क्षमता को एक नए स्तर पर ले जाना। कंपनी आने वाले 12 से 24 महीनों में अपनी वर्तमान 300 टन वार्षिक क्षमता को 30,000 टन प्रति वर्ष तक पहुंचाने की योजना बना रही है, जो न केवल एक तकनीकी उपलब्धि होगी बल्कि भारत की खनिज आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल मानी जाएगी।
आत्मनिर्भरता की दिशा में तकनीक का विस्तार
इस निवेश की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब भारत सरकार ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) के तहत महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने और चीन पर निर्भरता को कम करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं। Attero का यह निर्णय इस मिशन को सीधा समर्थन प्रदान करता है।
नितिन गुप्ता, जो कि Attero के सीईओ और सह-संस्थापक हैं, का कहना है – “हम भारत की एकमात्र कंपनी हैं जिसके पास Rare Earth Elements की प्रोसेसिंग के लिए पेटेंट प्राप्त डीप-टेक्नोलॉजी है, जो 99.9% तक की शुद्धता और 98% तक की रीकवरी दर के साथ काम करती है।”
REE क्यों हैं भारत के लिए ज़रूरी?
Rare Earth Elements जैसे कि नियोडिमियम (Nd), प्रेजोडायमियम (Pr), डिस्प्रोसियम (Dy), आदि, आधुनिक तकनीकी युग की रीढ़ हैं। ये मेटल्स विशेष रूप से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, पवन ऊर्जा प्रणालियों, मोबाइल, लैपटॉप और अन्य कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आवश्यक हैं। लेकिन भारत इनकी भारी मात्रा में आयात पर निर्भर है, खासकर चीन से।
ऐसे में यदि भारत में ही इन दुर्लभ तत्वों की रिसाइक्लिंग और निष्कर्षण (extraction) की टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया जाए, तो यह देश की तकनीकी और आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूती देगा।
ई-वेस्ट से रत्न निकालने की कला
Attero की तकनीक सिर्फ अत्याधुनिक ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी वरदान है। जहां पारंपरिक खनन में ग्रीनहाउस गैसों का भारी उत्सर्जन होता है, वहीं Attero की प्रक्रिया ऊर्जा-कुशल, किफायती, और ग्रीन है।
यह कंपनी पुराने मोबाइल, लैपटॉप, हेडफोन, बैटरियों, हार्ड ड्राइव्स आदि से Rare Earth Metals निकालने में सक्षम है। इसका सबसे बड़ा आउटपुट ब्लैक मास होता है, जिसे परिष्कृत कर लिथियम, कोबाल्ट, निकल और मैंगनीज़ जैसे कीमती तत्वों में बदला जा सकता है।
आंकड़ों की जुबानी विकास
वर्तमान में Attero की रीसाइक्लिंग क्षमता है: 1 टन/दिन
आगामी लक्ष्य: 100 टन/दिन यानी 30,000 टन/वर्ष
FY2025 में टारगेट: 1.5 लाख टन ई-वेस्ट और 15,000 टन लिथियम-आयन बैटरी प्रोसेसिंग
ग्रोथ का लक्ष्य: 100% सालाना विकास दर
भविष्य की दिशा
दुनिया जहां Rare Earth Metals की तरफ बड़ी निर्भरता दिखा रही है – जो कि 2029 तक $10.9 बिलियन और 2033 तक $30.3 बिलियन के बाजार का अनुमान बना रही है वहीं Attero का यह फैसला भारत को इस रेस में एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकता है।
कंपनी का यह विस्तार न सिर्फ आयात कम करेगा, बल्कि रोजगार, तकनीकी नवाचार, पर्यावरण संरक्षण और रणनीतिक आत्मनिर्भरता के नए द्वार भी खोलेगा।
कचरे से कमाल
Attero की यह पहल “कचरे से कमाल” की मिसाल है। ई-वेस्ट, जो पहले सिरदर्द माना जाता था, अब देश की रणनीतिक और आर्थिक शक्ति में बदल रहा है। ₹100 करोड़ का यह निवेश सिर्फ एक कारोबारी निर्णय नहीं, बल्कि भारत को सस्टेनेबल और टेक्नोलॉजिकल पावरहाउस बनाने की दिशा में एक साहसिक कदम है।