हाल ही में अमेरिका और वियतनाम के बीच हुई नई व्यापारिक डील ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है और यही वजह है कि भारतीय ट्रेड विशेषज्ञ अब काफी सतर्क हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित इस नए समझौते के तहत वियतनाम से अमेरिका में आने वाले सामान पर 20 फीसदी का सीधा टैरिफ लगाया जाएगा, जबकि ट्रांसशिपमेंट के जरिए दूसरे देशों से होकर आने वाले सामान पर 40 फीसदी तक शुल्क लगेगा।
पुरानी डील से अलग है ये समझौता
साल 2000 में अमेरिका और वियतनाम के बीच हुए द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के अंतर्गत वियतनामी उत्पादों पर केवल 2 से 10 फीसदी का शुल्क लगता था। लेकिन अब की डील में बड़ी सख्ती दिखाई गई है। खास बात यह है कि इस बार अमेरिका ने ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ के सामान्य नियमों को किनारे रखकर ट्रांसशिप सामानों पर सीधा भारी टैक्स लागू कर दिया है। इससे उन देशों को झटका लग सकता है जो अपनी सप्लाई चेन में वियतनाम जैसे देशों का इस्तेमाल करते हैं।
भारत की चिंता: फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर असर
भारतीय व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिका ने भारत के साथ भी इसी तरह की नीति अपनाई, तो इसका सीधा असर भारत के दवा और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पर पड़ सकता है। इन दोनों क्षेत्रों में भारत की वैश्विक निर्भरता काफी अधिक है, खासतौर पर कच्चे माल के लिए। ट्रेड एक्सपर्ट बिस्वजीत धर के मुताबिक, “नया ट्रांसशिपमेंट टैरिफ, रूल्स ऑफ ओरिजिन की एक बदली हुई परिभाषा हो सकती है, जो भारत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।”
भारत की रणनीति: सतर्कता और सख्ती
भारत सरकार फिलहाल अमेरिका के साथ चल रही ट्रेड वार्ताओं में पूरी तरह सतर्क है। वार्ताकार यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि अमेरिका की ओर से भारत पर किसी भी तरह का अतिरिक्त दबाव न डाला जाए, जिससे घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचे। भारत की कोशिश है कि अमेरिका के साथ होने वाला कोई भी समझौता उसकी संवेदनशील इंडस्ट्रीज़, खासकर फार्मास्युटिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स के हितों की रक्षा करे।
9 जुलाई तक डील का लक्ष्य, लेकिन भारत नहीं दिखा रहा नरमी
बताया जा रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताएं 9 जुलाई तक किसी अंतरिम समझौते पर पहुंच सकती हैं। भारतीय प्रतिनिधिमंडल बीते हफ्ते से अमेरिका में है और तेजी से बातचीत जारी है। हालांकि भारत किसी भी दबाव में झुकने को तैयार नहीं है और अपनी शर्तों पर अड़ा हुआ है। अगर समझौता नहीं होता तो अमेरिका की ओर से भारत पर जवाबी शुल्क लगाने की आशंका है।
अमेरिका की नई नीति का वैश्विक संदेश
अमेरिका द्वारा वियतनाम के साथ इस तरह का समझौता करना केवल व्यापार नहीं बल्कि भू-राजनीतिक संकेत भी देता है। यह उन देशों के लिए चेतावनी है जो अमेरिका की सप्लाई चेन में शामिल हैं या इसके जरिए अपने उत्पाद अमेरिकी बाजारों तक पहुंचाते हैं। भारत को इस नए माहौल में अपनी रणनीति को नए सिरे से परिभाषित करना होगा।
अमेरिका-वियतनाम डील ने वैश्विक व्यापार नीति की दिशा में एक बड़ा बदलाव इशारा किया है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह वक्त है कि वे सतर्क रहें और हर कदम फूंक-फूंक कर रखें। अमेरिका के साथ किसी भी समझौते में भारत को अपनी आर्थिक संरचना और संवेदनशील उद्योगों की रक्षा सर्वोपरि रखनी होगी।