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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > फर्श से अर्श तक > जब ज़िंदगी ने हार लिखनी चाही…तब एक सोच ने इतिहास रच दिया
फर्श से अर्श तक

जब ज़िंदगी ने हार लिखनी चाही…तब एक सोच ने इतिहास रच दिया

Last updated: 19/07/2025 11:14 AM
By
Industrial empire correspondent
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सोनीपत, हरियाणा । यह कहानी है एक आम इंसान सुरेंद्र की, जो अपनी एक छोटी सी दुकान खोलकर आत्मनिर्भर बनने चला था। लेकिन दुकान चली नहीं। जो कुछ जोड़ा था-फर्नीचर, सजावट, उम्मीदें सबकुछ बर्बाद हो गया। उसी बर्बादी के दिन, सुरेंद्र ने ठान लिया “जो मेरे साथ हुआ, वो किसी और के साथ न हो।” और यहीं से शुरू हुई PSL Divine Pvt. Ltd. की वो क्रांतिकारी यात्रा, जिसने भारत में पहली बार प्लास्टिक से ईंट (ब्रिक/ब्लॉक) बनाकर पूरे निर्माण जगत की परिभाषा ही बदल दी।

प्लास्टिक से इमारत? लोगों ने उड़ाया मजाक!
शुरुआत आसान नहीं थी। लोगों ने ताने मारे — “प्लास्टिक के घर बनते हैं क्या?” पर सुरेंद्र नहीं रुका। उसने छोटे-छोटे मॉडल बनाए, फेल हुए, टूटे, गिरे… लेकिन सुरेंद्र फिर उठा। धीरे-धीरे प्रयोग करता गया। कभी टायर डालकर मजबूती जांची, कभी नई तकनीक से डिज़ाइन तैयार किया। जब लोग बोले – “ये ईंट टिकेगी नहीं”, सुरेंद्र ने लोहे की रॉड डालकर उसे इतना मजबूत बनाया कि अब हर तूफान झेलने को तैयार है।

ABS प्लास्टिक का जादू: कचरे से निर्माण तक
एक समय सुरेंद्र को प्लास्टिक की ABC भी नहीं पता थी। लेकिन आज वह जानते हैं कि ABS नाम की प्लास्टिक, जो कार के डैशबोर्ड, एसी, मिक्सी, फ्रिज आदि में इस्तेमाल होती है, सबसे टिकाऊ और सुरक्षित होती है। उसी वेस्ट प्लास्टिक को ग्राइंड कर, दाना बनाकर, इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन में डालकर वह अब बना रहे हैं ऐसी ईंटें जो –

  • हल्की हैं
  • लेकिन फायरप्रूफ और मजबूत हैं
  • री-यूजेबल हैं
  • बिना स्किल वाले मजदूर भी इन्हें जोड़ सकते हैं
  • गर्मी-सर्दी से बचाव करती हैं

“कचरा” अब बनेगा “किला”
आज ये प्लास्टिक ईंटें स्कूल, कॉलेज, रेस्टोरेंट, ऑफिस, यहां तक कि पहाड़ी इलाकों में भी घर बनाने में काम आ रही हैं। जहां एक समय 6 महीने में सिर्फ 2-3 सैंपल बिकते थे, आज कंपनी के पास ₹6000 पीस का ऑर्डर बैक-लॉग है।

₹5000 में बदलिए अपनी तक़दीर
सुरेंद्र सिर्फ खुद नहीं बढ़ना चाहते, बल्कि पूरे देश को आगे ले जाना चाहते हैं। इसलिए PSL Divine ने एक योजना शुरू की है। सिर्फ ₹5000 में कोई भी युवा उनकी कंपनी से जुड़ सकता है। जिसे मिलेगा:

  • आइडेंटिटी कार्ड
  • सैंपल
  • पंपलेट
  • ट्रेनिंग
  • जीवनभर का एग्रीमेंट — आपका एरिया, सिर्फ आपका रहेगा।

“प्लास्टिक से नहीं डरते, हम उससे भविष्य बनाते हैं”
सुरेंद्र की यह सोच है कि अगर चीन नई-नई चीजें बनाकर दुनिया में छा सकता है, तो भारत क्यों नहीं? उनका सपना है कि आने वाले 5 सालों में हर जिले में एक यूनिट खुले। देश के युवाओं को रोजगार मिले और प्लास्टिक प्रदूषण को स्मार्ट तरीक़े से जड़ से मिटाया जाए।

अब विदेशों से भी आ रही है डिमांड
आज कई देशों से कॉल्स आ रही हैं। कंपनी ने बड़े ट्रांसपोर्ट्स से टाई-अप किया है। छोटे ऑर्डर से लेकर बड़े प्रोजेक्ट तक – हर तरह की डिलीवरी और इंस्टॉलेशन सुविधा मौजूद है।

अंत में सिर्फ एक संदेश:
“जिस प्लास्टिक को दुनिया बोझ मानती है, हमने उसी को भारत की सबसे मजबूत ईंट बना दिया।” अगर आप भी PSL Divine से जुड़ना चाहते हैं, तो आज ही कदम बढ़ाइए। फिर देखिए, एक फ्लॉप दुकान से जन्मी यह क्रांति…कैसे आपको भी फर्श से अर्श तक ले जाती है।

TAGGED:EcoBricksIndiaIndustrial EmpireMakeInIndiaInnovationplastic bricksplastic waste managementPlasticToPower
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