Millet Seeds: भारत में बाजरा को अब सिर्फ एक पारंपरिक अनाज नहीं, ‘सुपर फूड’ और आर्थिक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश के कृषि वैज्ञानिकों से अपील की है कि वे बाजरे की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए नए उच्च उत्पादक बीज विकसित करें।
उन्होंने कहा कि अगर बाजरे की खेती को वैज्ञानिक नवाचार, सरकारी सहयोग और सही नीतियों से जोड़ा जाए, तो यह फसल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
कृषि मंत्री का आह्वान: बाजरा किसानों की लाभदायक फसल
चौहान ने अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘माड़िया दिवस’ और ‘श्री अन्न एवं महिला किसान’ को संबोधित करते हुए कहा कि आज किसान ऐसी फसलों की तलाश में हैं, जो उन्हें बेहतर वित्तीय लाभ दे सकें। बाजरा को लाभदायक फसल बनाना हमारी जिम्मेदारी है। हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि किसान इसकी खेती की ओर रुख करें। उन्होंने कहा – कृषि मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार ‘श्री अन्न मिशन’ के तहत मोटे अनाजों को बढ़ावा दे रही है और ग्रामीण इलाकों में इसकी खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
ओडिशा बना मिसाल: MSP पर बाजरे की खरीद शुरू
अपने संबोधन में चौहान ने ओडिशा राज्य की सराहना करते हुए कहा कि राज्य ने बाजरे के उत्पादन में शानदार काम किया है। उन्होंने बताया कि ओडिशा ने बाजरे की उत्पादकता 6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंचा दी है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। ओडिशा देश का पहला राज्य है जो किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बाजरे की खरीद कर रहा है। इसके साथ ही राज्य ने मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal) में भी बाजरे से बने खाद्य पदार्थ शामिल कर एक सराहनीय पहल की है।
कृषि मंत्री ने कहा कि अब इस ओडिशा मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की योजना है, जिससे दूसरे राज्यों के किसान, खासतौर पर महिला किसान, इसका सीधा लाभ उठा सकें।
वैज्ञानिकों और राज्यों से सीधी अपील
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब समय है कि कृषि वैज्ञानिक और राज्य सरकारें मिलकर बाजरे के विकास में तेजी लाएं। वैज्ञानिकों को केवल बीज की गुणवत्ता नहीं बढ़ानी है, बल्कि खेती की लागत घटाने पर भी ध्यान देना होगा। कम लागत और अधिक उत्पादन यही भारत के किसान की ज़रूरत है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राज्यों को किसानों से सीधे बाजरा खरीदने की नीति बनानी चाहिए और स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करनी चाहिए। इससे किसानों को अधिक दाम मिलेंगे और गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
‘सुपर फूड’ के रूप में बाजरे का विस्तार
कार्यक्रम में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि पहले बाजरे की खेती सिर्फ आदिवासी इलाकों तक सीमित थी, लेकिन अब यह राज्य के सभी 30 जिलों में फैल चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बाजरे को ‘सुपर फूड’ के रूप में पहचान मिली है। यह अब पोषण और रोजगार दोनों का महत्वपूर्ण स्रोत बन रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर बाजरे की सप्लाई चेन, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट पॉलिसी पर ध्यान दें, तो भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक मिलेट हब बन सकता है।
‘श्री अन्न’ से बढ़ेगी किसान की आमदनी
बाजरे को ‘श्री अन्न’ का दर्जा देने के बाद सरकार अब इसे किसानों की आय बढ़ाने के मिशन से जोड़ रही है। वहीं केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी साफ संदेश दे दिया है कि अगर वैज्ञानिक, राज्य और किसान मिलकर आगे बढ़ें, तो बाजरा भारत की खेती का नया आधार बन सकता है। इस दिशा में कदम बढ़ चुके हैं और अगर यह गति बरकरार रही, तो आने वाले वर्षों में भारत न सिर्फ बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक, बल्कि सुपर फूड्स के वैश्विक बाजार का नेतृत्वकर्ता भी बन सकता है।