भारत डिजिटल क्रांति की तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ रहा है और अब देश की इसी तकनीकी क्षमता को लेकर एक बड़ा दावा सामने आया है। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि अगले 5 सालों में भारत दुनिया की “डेटा कैपिटल” बन सकता है। यह न सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि होगी बल्कि देश की वैश्विक भूमिका को भी नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाला कदम साबित होगा।

भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या हर साल रिकॉर्ड तोड़ गति से बढ़ रही है। 5G नेटवर्क के विस्तार और 6G की तैयारियों के साथ भारत डिजिटल कनेक्टिविटी के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो रहा है। मोबाइल डेटा की खपत के मामले में भारत पहले से ही विश्व में सबसे आगे है। मंत्री वैष्णव का कहना है कि आने वाले समय में डेटा उत्पादन, संग्रहण और प्रोसेसिंग के केंद्र के रूप में भारत की भूमिका और अधिक मजबूत होगी।
सरकार ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘भारतनेट’ जैसी योजनाओं के जरिए गांव-गांव तक इंटरनेट पहुंचा रही है। इससे न केवल लोगों को डिजिटल सेवाओं की सुविधा मिल रही है बल्कि देश में डेटा का विशाल भंडार भी बन रहा है। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में हो रहे विकास ने भी भारत को ग्लोबल डेटा हब बनने की दिशा में मजबूती दी है।
दूरसंचार मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत में डेटा सेंटर निर्माण की गति भी तेज हुई है। देश में निवेशक बड़ी मात्रा में डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दे रहे हैं। निजी और सरकारी साझेदारियों के माध्यम से आने वाले सालों में कई बड़े डेटा सेंटर प्रोजेक्ट्स पूरे होंगे जो देश को डेटा स्टोरेज और एनालिसिस की वैश्विक क्षमता प्रदान करेंगे।
यह अनुमान केवल एक तकनीकी बात नहीं बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य की दिशा है। आने वाले सालों में भारत सिर्फ डेटा उपभोक्ता नहीं बल्कि डेटा निर्माता और प्रोसेसर के रूप में उभरेगा। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा और डिजिटल इकॉनमी को जबरदस्त बल मिलेगा। भारत का “डेटा कैपिटल” बनना न केवल एक सपना है बल्कि यह अब एक ठोस लक्ष्य बन चुका है, जिसकी ओर देश पूरे आत्मविश्वास के साथ अग्रसर है।