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The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > एग्रीकल्चर > मधुमक्खी पालकों के लिए खुशखबरी! अब शहद उत्पादन पर भी मिलेगा सरकारी योजना का लाभ
एग्रीकल्चर

मधुमक्खी पालकों के लिए खुशखबरी! अब शहद उत्पादन पर भी मिलेगा सरकारी योजना का लाभ

Shashank Pathak
Last updated: 25/08/2025 1:57 PM
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Shashank Pathak
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भावांतर भरपाई योजना के तहत शहद उत्पादन पर सरकारी सब्सिडी, मधुमक्खी पालन से किसानों की आय में बढ़ोतर
मधुमक्खी पालन 'भावांतर भरपाई योजना' (BBY) में हुआ शामिल
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हरियाणा। किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र की सहायक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार नई योजनाएं ला रही हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत हरियाणा सरकार ने मधुमक्खी पालकों को बड़ी सौगात दी है। अब ‘भावांतर भरपाई योजना’ (Bhavantar Bharpai Yojana) में शहद को भी शामिल कर लिया गया है। इसका सीधा फायदा राज्य के हजारों मधुमक्खी पालकों को मिलेगा।

क्या है ‘भावांतर भरपाई योजना’?
‘भावांतर भरपाई योजना’ हरियाणा सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका मकसद किसानों की आय को स्थिर रखना और उन्हें फसल की सही कीमत दिलाना है। इस योजना के तहत सरकार किसी भी उपज के लिए संरक्षित मूल्य (Protected Price) तय करती है। यदि बाजार में फसल का दाम इस मूल्य से कम मिलता है, तो संरक्षित मूल्य और बाजार मूल्य के अंतर की भरपाई किसानों को सरकार द्वारा दी जाती है। अब शहद को भी इस योजना में शामिल करने के बाद, यदि बाजार में शहद की कीमत गिरती है, तो मधुमक्खी पालकों को सरकार सीधे मुआवज़ा देगी।

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा
हरियाणा बागवानी विभाग ने मधुमक्खी पालन (Beekeeping) को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं। सरकार द्वारा मधुमक्खी बक्सों पर 85 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है। कोई भी किसान 50 बॉक्स तक सब्सिडी का लाभ ले सकता है। इसके अलावा, बाल्टी, कंघी, नेट, पैकिंग बोतलें आदि जैसे उपकरणों पर भी 75 फीसदी तक अनुदान उपलब्ध है। सरकार का लक्ष्य है कि किसानों को मॉर्डर्न टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर उनकी आय को दोगुना किया जाए।

शहद उत्पादन के साथ बढ़ेगी फसल की पैदावार
मधुमक्खी पालन सिर्फ़ शहद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कृषि उत्पादन में भी बड़ी भूमिका निभाता है। मधुमक्खियां परागण (Pollination) के जरिए फसलों की पैदावार बढ़ाने में मदद करती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जिन खेतों में मधुमक्खी पालन किया जाता है, वहां की पैदावार सामान्य खेतों की तुलना में 20 फीसदी से 25 फीसदी अधिक होती है। इसका मतलब है कि मधुमक्खी पालन किसानों के लिए दोगुना लाभकारी है – एक तरफ शहद की कमाई और दूसरी तरफ पैदावार में बढ़ोतरी।

उच्च गुणवत्ता वाले मौन पेटिका का वितरण
राज्य में मधुमक्खी पालन को प्रोफेशनल स्तर पर बढ़ावा देने के लिए, एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र, रामनगर, कुरुक्षेत्र लगातार सक्रिय है। यह केंद्र किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले मौन पेटिका (Bee Boxes) अनुदान पर वितरित कर रहा है। एक बी बॉक्स में 9 फ्रेम होते हैं, जिन पर हजारों मधुमक्खियां रहती हैं। इन बॉक्सों को फूलों वाली फसलों के पास रखने से शहद का उत्पादन ज्यादा होता है।

मधुमक्खी पालन के लिए सही स्थान का चुनाव
अगर आप मधुमक्खी पालन शुरू करना चाहते हैं, तो सही स्थान का चयन बेहद महत्वपूर्ण है। जिसके लिए कुछ आवश्यक बातें ध्यान रखनी चाहिए –

फूलों की उपलब्धता: आसपास 2 से 3 किलोमीटर के दायरे में सरसों, तिल, मक्का, अमरूद जैसी फूलों वाली फसलें होनी चाहिए।

तेज हवा और धूप से बचाव: स्थान छायादार और हवा के झोंकों से सुरक्षित होना चाहिए।

सड़क से दूरी: मधुमक्खियों की शांति के लिए सड़क और शोरगुल से दूर जगह चुनें।

जल स्रोत के पास स्थान: नदियों, नालों या अन्य जलस्रोतों के पास का क्षेत्र मधुमक्खियों के लिए सबसे बेहतर रहता है।

छत्तों की उचित दूरी: एक जगह पर 50 से 100 बक्से रखे जा सकते हैं, लेकिन प्रत्येक बक्से के बीच कम से कम 3 फीट की दूरी होनी चाहिए।

मधुमक्खी पालन के लिए आदर्श मौसम
मधुमक्खियों के लिए मौसम और तापमान की सही परिस्थितियां जरूरी हैं:-

-सबसे अनुकूल तापमान: 15°C से 30°C
– बहुत ज्यादा गर्मी (32°C से ऊपर) में मधुमक्खियों की सक्रियता कम हो जाती है।
– बहुत ज्यादा ठंड (15°C से नीचे) में भी शहद उत्पादन प्रभावित होता है।
भारत में अक्टूबर से मार्च तक का समय मधुमक्खी पालन के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

किसानों के लिए सुनहरा अवसर
‘भावांतर भरपाई योजना’ में शहद को शामिल करने से मधुमक्खी पालकों को दोहरी राहत मिलेगी:-

-बाजार में शहद के दाम गिरने पर सरकार भरपाई करेगी,
– उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से 85 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध है।

सरकार की इस पहल से हरियाणा में मधुमक्खी पालन एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में तेजी से उभर रहा है। यह अब केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं रहा। यह किसानों की आय बढ़ाने, कृषि उत्पादकता में सुधार लाने और ग्लोबल मार्केट में भारत की स्थिति मजबूत करने का एक बड़ा जरिया बन रहा है। ऐसे में भावांतर भरपाई योजना के तहत शहद को शामिल करने का फैसला किसानों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

TAGGED:Agricultural schemesAgricultureBeekeepingBhavantar Compensation SchemeHaryana Governmenthoney productionIndustrial Empiresubsidy
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