अमेरिका ने रूस के बाद अब Venezuela के खिलाफ भी तेल कारोबार को लेकर सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में अमेरिका ने वेनेजुएला के एक तेल टैंकर को जब्त कर लिया और उसके साथ कारोबार करने वाली शिपिंग कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगा दिए। इन कदमों का सीधा असर वेनेजुएला के तेल निर्यात पर पड़ा है, जो पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा था। हालांकि वैश्विक स्तर पर इस फैसले के निहितार्थ बड़े हो सकते हैं, लेकिन भारत पर इसका प्रभाव सीमित रहने की संभावना जताई जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी कार्रवाई के बाद वेनेजुएला के समुद्री इलाकों में तेल टैंकरों की आवाजाही लगभग ठप हो गई है। अमेरिका ने साफ संकेत दिए हैं कि वह राष्ट्रपति निकोलस मदुरो पर दबाव बढ़ाने के लिए आगे भी ऐसे कदम उठा सकता है और जरूरत पड़ी तो और जहाजों को जब्त किया जाएगा। इस हफ्ते जिस स्किपर टैंकर को जब्त किया गया, वह 2019 में वेनेजुएला पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने के बाद पहली ऐसी बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है, जब सीधे तेल कार्गो को निशाना बनाया गया। यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब कैरिबियन सागर में अमेरिकी सैन्य गतिविधियां भी बढ़ी हुई हैं, जिसे मदुरो सरकार पर राजनीतिक और सैन्य दबाव की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
इन धमकियों और कार्रवाइयों का असर यह हुआ है कि वेनेजुएला के तटवर्ती इलाकों में कई तेल टैंकर फंसे हुए हैं। अल जजीरा के अनुसार, करीब 11 मिलियन बैरल तेल और ईंधन से भरे टैंकर आगे बढ़ने से हिचक रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं अमेरिकी नौसेना उन्हें भी जब्त न कर ले। इससे वेनेजुएला का तेल निर्यात लगभग ठहर सा गया है और देश की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि स्किपर टैंकर की जब्ती के बाद केवल अमेरिकी कंपनी शेवरॉन द्वारा चार्टर्ड टैंकर ही वेनेजुएला के बंदरगाहों से बाहर निकल पाए हैं। शेवरॉन को अमेरिकी सरकार से विशेष अनुमति मिली हुई है, जिसके तहत वह वेनेजुएला की सरकारी तेल कंपनी PDVSA के साथ संयुक्त उद्यमों के माध्यम से तेल उत्पादन और निर्यात कर सकती है। इस छूट के कारण शेवरॉन वेनेजुएला से कच्चा तेल लेकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों, खासकर अमेरिका, तक पहुंचा रही है, जबकि अन्य कंपनियां लगभग पूरी तरह से बाहर हो चुकी हैं।
अब सवाल उठता है कि इस पूरे घटनाक्रम का भारत पर क्या असर पड़ेगा। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कई देशों से कच्चा तेल आयात करता है, जिनमें रूस और वेनेजुएला जैसे देश भी शामिल हैं। रूस की तरह वेनेजुएला भी भारत को अपेक्षाकृत सस्ता तेल उपलब्ध कराता रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने वर्ष 2024 में वेनेजुएला से करीब 22 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात किया था। हालांकि अमेरिका के दबाव और वैश्विक राजनीतिक समीकरणों के चलते भारत ने हाल के महीनों में वेनेजुएला से तेल खरीद में कटौती की है।
इससे पहले रूस से तेल खरीद को लेकर भी भारत पर अमेरिकी दबाव देखा गया था। कुछ समय पहले अमेरिका ने रूस से तेल आयात के कारण भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, लेकिन इसके बावजूद भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा। वेनेजुएला के मामले में स्थिति थोड़ी अलग है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने अब वेनेजुएला से तेल आयात लगभग बंद कर दिया है और संभावना है कि साल के अंत तक यह पूरी तरह समाप्त हो जाए।
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए यह स्थिति ज्यादा चिंता का कारण नहीं बनेगी, क्योंकि वह मध्य पूर्व, रूस और अन्य स्रोतों से अपनी तेल जरूरतें पूरी कर सकता है। वेनेजुएला से आयात पहले ही सीमित हो चुका है, इसलिए नए अमेरिकी प्रतिबंधों का भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर बड़ा असर पड़ने की संभावना कम है। कुल मिलाकर, अमेरिका और वेनेजुएला के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक तेल बाजार में अनिश्चितता जरूर पैदा कर सकता है, लेकिन भारत ने समय रहते अपने विकल्प मजबूत कर लिए हैं।