वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने चमड़ा उत्पादों के निर्यात से जुड़ी कई प्रमुख प्रक्रियागत बाधाओं को हटा दिया है। इस फैसले से निर्यातकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा मिलेगा।

इस अधिसूचना के तहत मूल्य संवर्धित चमड़ा उत्पादों के निर्यात पर लगे कई प्रतिबंध समाप्त कर दिए गए हैं। खासकर बंदरगाहों की सीमाएं हटाई गई हैं जिससे अब तैयार चमड़ा, गीला नीला चमड़ा, क्रस्ट चमड़ा और ईआई टेंडेड चमड़ा किसी भी बंदरगाह या इनलैंड कंटेनर डिपो से निर्यात किया जा सकेगा। पहले इन उत्पादों का निर्यात केवल कुछ विशेष बंदरगाहों तक ही सीमित था।
इसके अलावा इन चमड़ा उत्पादों के लिए केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान से परीक्षण और प्रमाणन कराना अब अनिवार्य नहीं रहेगा। पहले यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई थी ताकि कच्चे चमड़े और मूल्य-वर्धित उत्पादों में फर्क किया जा सके। लेकिन अब जब निर्यात कर समाप्त हो चुके हैं और कच्चे व प्रसंस्कृत चमड़े में स्पष्ट अंतर देखा जा सकता है तो यह प्रक्रिया अनावश्यक मानी गई है।
यह निर्णय व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया गया है जिसमें चमड़ा निर्यात परिषद, निर्यातक और सीएलआरआई जैसे संबंधित पक्षों की राय भी शामिल रही। इस फैसले से न केवल निर्यात प्रक्रियाएं आसान होंगी बल्कि लेनदेन लागत भी कम होगी, जिससे खासतौर पर MSME क्षेत्र के निर्यातकों को बड़ा फायदा होगा। सरकार का यह कदम न केवल वैश्विक चमड़ा मूल्य श्रृंखला में भारत की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा बल्कि गुणवत्ता और पारदर्शिता के मानकों को बनाए रखते हुए निर्यात क्षेत्र में सुधार भी लाएगा।