HDFC के पूर्व चेयरमैन दीपक पारेख ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि कभी ICICI बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर ने HDFC और ICICI बैंक के मर्जर का प्रस्ताव दिया था। यह बात उन्होंने खुद चंदा कोचर के यूट्यूब चैनल पर एक बातचीत के दौरान साझा की।
पारेख ने याद करते हुए कहा, “मुझे अब भी याद है जब आपने मुझसे कहा था – ‘ICICI ने ही HDFC को जन्म दिया था, तो क्यों न आप घर लौट आएं?’” हालांकि, पारेख ने इस प्रस्ताव को विनम्रता से ठुकरा दिया, यह कहते हुए कि यह मर्जर HDFC के ब्रांड और संरचना के लिए उपयुक्त नहीं होगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह चर्चा कभी सार्वजनिक नहीं हुई थी, लेकिन अब वे इसे साझा करने में सहज महसूस कर रहे हैं।
RBI की भूमिका और ऐतिहासिक मर्जर
हालांकि ICICI मर्जर नहीं हुआ, लेकिन जुलाई 2023 में HDFC लिमिटेड और HDFC बैंक का बहुप्रतीक्षित रिवर्स मर्जर जरूर हुआ। पारेख के अनुसार, इस मर्जर में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की बड़ी भूमिका रही।
RBI ने सिस्टमिकली इम्पॉर्टेंट NBFCs – जिनकी संपत्ति ₹5 लाख करोड़ से अधिक हो चुकी थी – को मर्जर जैसे कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। हालांकि, पारेख साफ करते हैं कि RBI ने सिर्फ सैद्धांतिक समर्थन दिया, कोई विशेष रियायत नहीं दी।
“खुशी और दुख का दिन था मर्जर”
पारेख ने मर्जर के अंतिम दिन को भावनाओं से भरा दिन बताया – एक ओर गर्व और उपलब्धि की भावना, दूसरी ओर एक लंबे सफर के समाप्त होने का दुख। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि भारत को चीन जैसे विशाल बैंकों की तर्ज पर बड़े और मजबूत बैंक चाहिए। इसके लिए अधिग्रहण और मर्जर जरूरी होंगे।
इंश्योरेंस सेक्टर पर भी जताई चिंता
बातचीत में पारेख ने भारतीय इंश्योरेंस सेक्टर को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि यह भारत में सबसे कम समझे जाने वाले फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में से एक है। इसके अलावा, उन्होंने बैंकों द्वारा ऊंचे कमीशन के लालच में इंश्योरेंस की गलत बिक्री पर भी चिंता जताई।
वित्तीय जगत को चौंकाने वाला
दीपक पारेख का यह खुलासा न केवल वित्तीय जगत को चौंकाने वाला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से बड़े फैसले रणनीतिक सोच और संस्था की गरिमा के आधार पर लिए जाते हैं। उनका ‘न’ कहना, एक संस्थान के आत्मसम्मान और दीर्घकालिक दृष्टिकोण का परिचायक है।