भारत में कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर इन दिनों जबरदस्त उछाल पर है। विशेष रूप से बेंगलुरु, मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहरों में ऑफिस स्पेस, को-वर्किंग स्पेस और कॉर्पोरेट बिल्डिंग्स की मांग तेजी से बढ़ी है। यह ट्रेंड बताता है कि भारत की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट रही है और कंपनियां अपने विस्तार की योजनाओं को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो चुकी हैं।

बेंगलुरु हमेशा से ही भारत का टेक्नोलॉजी हब माना जाता है। यहाँ आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स की बढ़ती संख्या के कारण ऑफिस स्पेस की डिमांड में बड़ा इजाफा हुआ है। बड़े कॉर्पोरेट समूह और विदेशी निवेशक भी इस शहर को अपनी पहली पसंद बना रहे हैं। दूसरी ओर मुंबई जो कि देश की वित्तीय राजधानी है वहाँ कॉर्पोरेट हाउसिंग, बैंकिंग हब और मीडिया ऑफिसेस की वजह से कमर्शियल प्रॉपर्टी की कीमतें और मांग दोनों ही बढ़ रही हैं। पुणे भी अब तेजी से ग्रो कर रहा है। वहाँ आईटी और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की संख्या बढ़ने के कारण कॉर्पोरेट ऑफिस की जरूरत बढ़ी है। पुणे में सस्ते रेट्स और अच्छी कनेक्टिविटी इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बना रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार; वर्क फ्रॉम होम के दौर के बाद अब कंपनियां हाइब्रिड वर्किंग मॉडल की ओर बढ़ रही हैं। इसके चलते उन्हें बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक-सपोर्टेड ऑफिस स्पेस और मल्टी-फंक्शनल कॉमर्शियल जगहों की जरूरत महसूस हो रही है। यही वजह है कि बेंगलुरु, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में ग्रेड A ऑफिस स्पेस की मांग लगातार बढ़ रही है।
इसके अलावा सरकार की आसान एफडीआई पॉलिसी, डिजिटल इंडिया अभियान और इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेजी से हो रहा सुधार भी इस सेक्टर को मजबूती दे रहा है। विदेशी कंपनियां अब भारत के मेट्रो शहरों को अपना नया बिजनेस सेंटर मानने लगी हैं। भारत में कमर्शियल रियल एस्टेट का भविष्य उज्ज्वल है। बेंगलुरु, मुंबई और पुणे जैसे शहर आने वाले सालों में निवेश और रोजगार दोनों के प्रमुख केंद्र बन सकते हैं।