भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर जारी बहस के बीच सरकार के सेफ्टी ऐप Sanchar Saathi ने अचानक सुर्खियाँ बटोर ली हैं। मंगलवार को इस ऐप की डाउनलोडिंग में जो उछाल देखा गया, उसने सरकार और टेक इंडस्ट्री – दोनों को चौंका दिया। सामान्य दिनों में जहाँ इस ऐप को लगभग 60 हजार लोग डाउनलोड करते थे, वहीं एक ही दिन में यह आंकड़ा सीधे 6 लाख तक पहुंच गया। यानी लगभग 10 गुना तेज़ी। दिलचस्प बात यह है कि यह उछाल ठीक उस समय आया, जब विरोधी दलों और कुछ साइबर एक्सपर्ट्स ने इस ऐप को हर मोबाइल में अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल किए जाने के आदेश को लेकर सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे।
दूरसंचार विभाग (DoT) के मुताबिक, यह प्रतिक्रिया “अनपेक्षित रूप से सकारात्मक” रही है। सूत्रों के अनुसार, आदेश लागू होने से पहले भी ऐप करीब 1.5 करोड़ बार डाउनलोड हो चुका था, लेकिन मंगलवार को अचानक भारी ट्रैफिक देखने को मिला। पीटीआई की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी का बयान भी सामने आया जिसमें उन्होंने कहा – “लोगों ने ऐप को लेकर काफी विश्वास दिखाया है और इसकी डाउनलोडिंग में रिकॉर्ड बढ़त देखने को मिली है।”
आखिर नया आदेश है क्या?
28 नवंबर को केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें मोबाइल निर्माताओं को निर्देश दिया गया कि हर नए फोन में Sanchar Saathi App प्री-इंस्टॉल होना चाहिए। इतना ही नहीं, पहले से उपयोग हो रहे फोन में भी यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए उपलब्ध कराया जाए। पहली बार फोन ऑन करने पर यह ऐप उपयोगकर्ता को स्पष्ट रूप से दिखाई देनी चाहिए।
हालाँकि इस आदेश के तुरंत बाद विवाद शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर इसे “स्पाइंग टूल”, “निगरानी ऐप” और “प्राइवेसी का उल्लंघन” तक कहा जाने लगा। सरकार को सफाई देनी पड़ी। दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट कहा कि “Sanchar Saathi पूरी तरह वैकल्पिक है – उपभोक्ता चाहें तो इसे तुरंत डिलीट कर सकते हैं।” DoT ने भी कहा कि “readily visible” का मतलब ऐप दिखना चाहिए, लेकिन इसका इस्तेमाल करना उपभोक्ता की इच्छा पर निर्भर है।
क्या वाकई ऐप डेटा चुराता है?
यही वह सवाल था जिसने सबसे ज्यादा शोर मचाया। इस पर DoT ने तकनीकी तरीके से विस्तृत जवाब दिया है। विभाग के अनुसार Sanchar Saathi किसी भी संवेदनशील डेटा – जैसे कॉन्टैक्ट्स, लोकेशन, माइक्रोफोन, गैलरी या मैसेज – तक एक्सेस नहीं लेता। ऐप कुछ सीमित परमिशन तभी मांगता है जब यूजर खुद कोई शिकायत दर्ज कराता है या फोन की वैधता जांचता है।
ऐप किस-किस चीज की परमिशन मांगता है और क्यों?
Make & Manage Calls: यह सिर्फ फोन में सक्रिय सिम की सत्यापित पहचान करने के लिए है, जैसा OTP आधारित वेरिफिकेशन में होता है।
Send SMS: केवल एक बार के वेरिफिकेशन SMS के लिए।
Camera Access: IMEI की फोटो लेने या फ्रॉड कॉल/SMS का स्क्रीनशॉट अपलोड करने के लिए।
सरकार का दावा है कि यूजर चाहे तो सभी परमिशन वापस ले सकता है, ऐप से लॉगआउट कर सकता है या पूरी तरह अनइंस्टॉल कर सकता है।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
CUTS International के रिसर्च डायरेक्टर अमोल कुलकर्णी मानते हैं कि इस तरह की पहल पर सार्वजनिक परामर्श की कमी चिंता का विषय है। उनका कहना है कि “सरकार को जनता से भरोसा मांगने से पहले संवाद बढ़ाना चाहिए।” दूसरी ओर, साइबर लॉ विशेषज्ञ संजीव कुमार का मानना है कि यह आदेश समय की आवश्यकता है। वे बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में “डिजिटल अरेस्ट” जैसे हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड तेजी से बढ़े हैं। Supreme Court तक को CBI जांच के निर्देश देने पड़े हैं।
उनका मानना है कि Sanchar Saathi की असली भूमिका नकली फोन की पहचान करना, चोरी हुए मोबाइल की ट्रैकिंग, फ्रॉड कॉल/मैसेज की रिपोर्टिंग और फर्जी सिम कार्ड को रोकना है। उनके अनुसार, “यह ऐप सुरक्षा कवच जैसा है, न कि निगरानी का टूल।”
क्यों बढ़ा डाउनलोड?
विवाद, चर्चा और सरकार की सफाई – तीनों ने मिलकर एक तरह की जिज्ञासा पैदा कर दी। लोगों ने ऐप डाउनलोड कर खुद देखने का फैसला किया कि इसमें आखिर है क्या। यही वजह है कि एक ही दिन में डाउनलोडिंग कई गुना बढ़ गई।
Sanchar Saathi को लेकर बहस अभी खत्म नहीं हुई है। ऐप सरकार के साइबर सुरक्षा मिशन का अहम हिस्सा है, लेकिन इसे अनिवार्य बनाने की कोशिशों ने निजता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि DoT और मंत्रालय लगातार इसे “सुरक्षा के लिए उपयोगी” और “पूरी तरह वैकल्पिक” बता रहे हैं। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि यह पहल डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करेगी या फिर विवाद और गहराएगा।