उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है – UP में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर (ESDM) पार्क्स स्थापित करने की। इस कदम को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन के लिए एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है। इसका मकसद न केवल देश की आयात पर निर्भरता कम करना है, बल्कि उत्तर प्रदेश को एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग और हाई-टेक इंडस्ट्रीज़ का हब बनाना भी है।
क्यों ज़रूरी हैं ESDM पार्क?
भारत आज भी इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स का बड़ा हिस्सा चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों से आयात करता है। स्मार्टफोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल्स, डिफेंस उपकरण – इन सभी में चिप्स की मांग लगातार बढ़ रही है। ग्लोबल सप्लाई चेन संकट और सेमीकंडक्टर की कमी ने सरकार को सोचने पर मजबूर किया है कि देश में ही उत्पादन क्षमता विकसित की जाए। ऐसे में ESDM पार्क न केवल आत्मनिर्भरता देंगे, बल्कि करोड़ों डॉलर के आयात बिल को भी कम करेंगे।
उत्तर प्रदेश का विज़न
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल के भाषणों में स्पष्ट किया है कि यूपी को आने वाले वर्षों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाया जाएगा।
- नोएडा और ग्रेटर नोएडा पहले से ही मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग में बड़ी पहचान बना चुके हैं। सैमसंग और कई चीनी कंपनियों के प्लांट यहाँ सक्रिय हैं।
- सरकार की योजना है कि इन मौजूदा इकोसिस्टम्स को अपग्रेड कर, विशेष ESDM पार्क्स तैयार किए जाएँ जहाँ सेमीकंडक्टर डिज़ाइन, चिप मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली यूनिट्स एक ही छत के नीचे मिलें।
- यह पार्क्स 100–500 एकड़ तक की इंडस्ट्रियल लैंड पर विकसित किए जा सकते हैं, जिनमें पावर, पानी, हाई-स्पीड इंटरनेट और लॉजिस्टिक्स की वर्ल्ड-क्लास सुविधाएँ होंगी।
निवेशकों की दिलचस्पी
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, कई घरेलू और विदेशी कंपनियों ने ESDM पार्क्स में निवेश करने में रुचि दिखाई है।
- ताइवान और दक्षिण कोरिया की कुछ कंपनियाँ भारत में पार्टनरशिप मॉडल तलाश रही हैं।
- घरेलू स्तर पर टाटा, वेदांता और अदाणी ग्रुप पहले से सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स में रुचि दिखा चुके हैं।
- स्टार्टअप्स और डिज़ाइन हाउस को भी इन पार्क्स में इनोवेशन लैब्स और R&D सेंटर्स की सुविधा मिल सकती है।
इससे न केवल बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होंगे, बल्कि स्थानीय MSMEs को भी नए सप्लाई चेन का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
हालांकि योजना आकर्षक है, लेकिन सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री स्थापित करना आसान काम नहीं है।
- हाई इन्वेस्टमेंट कॉस्ट: एक सेमीकंडक्टर फैब लगाने की लागत अरबों डॉलर में होती है।
- क्वालिफाइड टैलेंट: इस सेक्टर में इंजीनियर्स, रिसर्चर्स और टेक्निकल एक्सपर्ट्स की बड़ी मांग होगी। यूपी को स्किल डेवलपमेंट पर खास ध्यान देना होगा।
- ग्लोबल कम्पटीशन: ताइवान और कोरिया जैसे देश दशकों से इस इंडस्ट्री में लीडर हैं। भारत को यहाँ तक पहुँचने के लिए निरंतर प्रयास और दीर्घकालिक रणनीति चाहिए।
रोजगार और विकास की उम्मीद
फिर भी, अगर यह योजना सफल रही तो उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नक्शे में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है।
- रोजगार: लाखों युवाओं को इंजीनियरिंग, डिज़ाइन और टेक्निकल सपोर्ट जॉब्स मिल सकते हैं।
- MSMEs को बढ़ावा: छोटे सप्लायर्स और लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ बड़े उद्योगों से जुड़ सकेंगी।
- आर्थिक बढ़त: यूपी का एक्सपोर्ट पोर्टफोलियो और भी मजबूत होगा, जिससे राज्य की GDP में तेज़ी आएगी।
नज़रिया
उत्तर प्रदेश का यह कदम केवल राज्य की नहीं, बल्कि पूरे देश की औद्योगिक तस्वीर बदल सकता है। जैसे फरीदाबाद और पुणे को ऑटोमोबाइल हब कहा जाता है, वैसे ही आने वाले वर्षों में नोएडा और ग्रेटर नोएडा को “भारत का चिप सिटी” कहा जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब सरकार लॉन्ग-टर्म पॉलिसी, निवेशकों के लिए स्थिर माहौल और स्थानीय टैलेंट की स्किलिंग पर निरंतर ध्यान दे।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश के ESDM पार्क्स का सपना भारत के डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत विज़न को नई दिशा दे सकता है। अगर यह प्रोजेक्ट जमीन पर उतरा तो न केवल आयात बिल कम होगा, बल्कि भारत खुद को दुनिया के सामने एक मजबूत टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस के रूप में पेश कर सकेगा।
Industrial Empire के पाठकों के लिए यह कहानी इस बात का संकेत है कि भारत का औद्योगिक भविष्य अब पारंपरिक सेक्टर तक सीमित नहीं रहेगा – बल्कि चिप्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में नई उड़ान भरेगा।