लखनऊ। UP अब सिर्फ गन्ने की मिलों, कालीनों और पीतल के बर्तनों का प्रदेश नहीं रहा। यहाँ एक ऐसा बिज़नेस तूफ़ान उठ रहा है जिसे देश अभी पूरी तरह देख भी नहीं पाया है। विकसित उत्तर प्रदेश: विज़न 2047 कॉन्क्लेव (लखनऊ) और उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो (नोएडा) ने यह साफ़ कर दिया है कि यूपी चुपचाप एक ऐसी आर्थिक क्रांति की तैयारी कर रहा है, जिसमें छोटे-छोटे उद्योग दुनिया को चौंकाने वाले रोजगार फैक्ट्री बन रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल: क्या सच में यूपी 2047 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है?
MSMEs: रोज़गार की असली फैक्ट्री
लखनऊ में आयोजित कॉन्क्लेव में एमएसएमई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने चौंकाने वाला तथ्य रखा “जहाँ बड़े उद्योग ₹1 करोड़ के निवेश पर मुश्किल से 2 नौकरियाँ देते हैं, वहीं एमएसएमई 8 नौकरियाँ पैदा करते हैं।” यानी छोटे-छोटे कारोबार असली गेम-चेंजर हैं। उत्तर प्रदेश के पास 96 लाख से ज़्यादा एमएसएमई हैं – यानी भारत का एमएसएमई हब। मुरादाबाद का पीतल, आगरा का चमड़ा, फिरोज़ाबाद का काँच, सहारनपुर की लकड़ी की कारीगरी, ये सब सिर्फ उत्पाद नहीं हैं, बल्कि लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी और अब राज्य की आर्थिक रीढ़ हैं। सरकार का दांव साफ है – इन्हीं एमएसएमई के सहारे यूपी 2047 तक ट्रिलियन-डॉलर इकॉनमी के सपने को पूरा करेगा।
परंपरा और टेक्नॉलजी की टक्कर
– नोएडा ट्रेड शो में जो नज़ारा देखने को मिला, उसने सबको हैरान कर दिया।
– एक स्टॉल पर कारीगरों ने हाथ से बनी मोमबत्तियाँ दिखाई जो ताजमहल की तरह नक्काशीदार थीं।
– दूसरी तरफ़ एक स्टार्टअप ने AI संचालित Fertobot पेश किया—एक ऐसा रोबोट जो खेती में खाद छिड़काव को ऑटोमैटिक कर देगा।
सोचिए, एक तरफ़ सदियों पुरानी मोमबत्तियाँ और दूसरी तरफ़ हाई-टेक खेती का रोबोट—दोनों उत्तर प्रदेश की पहचान बन रहे हैं। यही तो है नया यूपी – जहाँ ख़ादी और क्लाउड टेक, मिट्टी के बर्तन और ड्रोन, कारीगरी और कोडिंग सब साथ-साथ चल रहे हैं।
ट्रेड शो के चौथे दिन स्किल डेवलपमेंट, ख़ादी और यंग आंत्रप्रेन्योरशिप पर फोकस रहा। सरकार का संदेश साफ़ था “यूपी को सिर्फ़ कारखाने नहीं चाहिए, बल्कि कुशल हाथ और तेज़ दिमाग भी चाहिए।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार कह चुके हैं कि “यूपी की ताक़त उसका युवा है।” 24 करोड़ की आबादी में से 50% से ज़्यादा युवा हैं। सरकार उन्हें ड्रोन टेक्नॉलजी, ई-कॉमर्स सप्लाई चेन, डिजिटल डिज़ाइन और इंटरनेशनल मार्केटिंग की ट्रेनिंग देकर बिज़नेस लीडर बनाने की रणनीति पर काम कर रही है।
क्यों ख़ास है यूपी?
भारत के हर राज्य में निवेश और रोजगार के वादे होते हैं। लेकिन यूपी की कहानी अलग है –
- स्केल: 24 करोड़ की आबादी—यानी एक देश के बराबर। अगर सिर्फ़ 10% युवा भी आंत्रप्रेन्योर बने तो लाखों नए स्टार्टअप जन्म लेंगे।
- विविधता: गन्ना, डेयरी, कालीन, काँच, चमड़ा, आईटी, डिफेंस, पर्यटन—यूपी के पास हर सेक्टर है।
- ब्रांडिंग: ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से लेकर ट्रेड शो तक, यूपी ने पहली बार खुद को एक बिज़नेस ब्रांड की तरह पेश किया है।
- नीतिगत बढ़त: ODOP (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट), एमएसएमई सब्सिडी, सिंगल विंडो सिस्टम—सरकारी बैकअप मज़बूत है।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
लेकिन तस्वीर के दूसरे पहलू को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। बहुत से एमएसएमई अब भी क्रेडिट की कमी, टेक्नॉलजी अपडेट की दिक़्क़त और लॉजिस्टिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि – क्या फ़िरोज़ाबाद के चूड़ी बनाने वाले AI अपनाएँगे? क्या भदोही के कालीन बुनकर ई-कॉमर्स से जुड़ पाएँगे? यानी सफ़र आसान नहीं है, लेकिन शुरुआत मज़बूत हो चुकी है।
क्यों आपको ध्यान देना चाहिए?
अगर आप युवा हैं, निवेशक हैं या नौकरी की तलाश में हैं – तो यूपी पर नज़र रखना ज़रूरी है। हो सकता है अगला यूनिकॉर्न स्टार्टअप बेंगलुरु या गुड़गाँव से नहीं, बल्कि लखनऊ, कानपुर या नोएडा से निकले। मोमबत्ती और रोबोट का मेल यही दिखा रहा है कि यूपी को कम आंकना अब ख़तरनाक भूल साबित हो सकता है।
आख़िरी लाइन
लखनऊ कॉन्क्लेव से लेकर नोएडा ट्रेड शो तक एक ही संदेश गूंज रहा है “हम सिर्फ़ भारत का सबसे बड़ा राज्य नहीं हैं, हम भारत का अगला बिज़नेस साम्राज्य हैं।” और सवाल यह है क्या आप इस बदलाव को समय रहते देख रहे हैं, या फिर तब चौंकेंगे जब यूपी आपको पीछे छोड़ देगा?