The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation
Monday, Dec 22, 2025
Facebook X-twitter Youtube Linkedin
  • About Us
  • Contact Us
Subscribe
  • होम
  • ट्रेंडिंग खबरें
  • फर्श से अर्श तक
  • बिजनेस आईडिया
  • ऑटो/टेक
  • बैंकिंग
  • आईटी
  • टेलिकॉम
  • एनर्जी
    • रिन्यूएबल एनर्जी
    • नॉन रिन्यूएबल एनर्जी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एग्रीकल्चर
  • फार्मा
  • अन्य
Font ResizerAa
The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & InnovationThe Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation
  • होम
  • ट्रेंडिंग खबरें
  • फर्श से अर्श तक
  • बिजनेस आईडिया
  • ऑटो/टेक
  • बैंकिंग
  • आईटी
  • टेलिकॉम
  • एनर्जी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एग्रीकल्चर
  • फार्मा
  • अन्य
Search
  • होम
  • ट्रेंडिंग खबरें
  • फर्श से अर्श तक
  • बिजनेस आईडिया
  • ऑटो/टेक
  • बैंकिंग
  • आईटी
  • टेलिकॉम
  • एनर्जी
    • रिन्यूएबल एनर्जी
    • नॉन रिन्यूएबल एनर्जी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एग्रीकल्चर
  • फार्मा
  • अन्य
Have an existing account? Sign In
Follow US
© 2025 The Industrial Empire. All Rights Reserved.
The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation > एग्रीकल्चर > Green Gram: रबी सीजन में मूंग की खेती, कम लागत में ज़्यादा मुनाफा, जानिए पूरी प्रक्रिया
एग्रीकल्चर

Green Gram: रबी सीजन में मूंग की खेती, कम लागत में ज़्यादा मुनाफा, जानिए पूरी प्रक्रिया

Last updated: 12/12/2025 7:33 PM
By
Industrial Empire
Share
SHARE

Green Gram: रबी सीजन में ऐसी फसलें चुनना हर किसान का लक्ष्य होता है जो कम समय में तैयार हों, बाज़ार में जिसकी मांग बनी रहे और जिसकी लागत भी बहुत ज़्यादा न आए। इन सभी पैमानों पर अगर कोई फसल खरा उतरती है, तो वह है मूंग (Green Gram)। दलहनी फसलों में मूंग को खास स्थान इसलिए मिलता है क्योंकि यह न केवल प्रोटीन से भरपूर होती है, बल्कि फसल कटाई के बाद अवशेष को खेत में पलट देने पर यह मिट्टी में जैविक खाद का भी काम करती है। यही वजह है कि बदलते मौसम और बढ़ती बाजार मांग के दौर में मूंग किसानों के लिए एक सुरक्षित और लाभदायक विकल्प बनती जा रही है।

उन्नत खेती के लिए नई पहल
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने हाल ही में राज्यभर में किसान पाठशाला की शुरुआत की है। इसके माध्यम से किसानों को आधुनिक खेती, वैज्ञानिक तकनीकों और कम लागत में अधिक लाभ वाली फसलों की ट्रेनिंग दी जा रही है। मूंग की खेती भी इसी श्रेणी में आती है, जिसे सही विधि से उगाया जाए तो यह खेती किसानों को बंपर कमाई दिला सकती है।

मूंग की प्रमुख किस्में
किस्मों का सही चुनाव उपज बढ़ाने का पहला कदम है। मूंग की कुछ लोकप्रिय और उच्च उत्पादन वाली किस्में इस प्रकार हैं :- नरेन्द्र मूंग-1, मालवीय ज्योति (HUM-1), मालवीय जाग्रति (HUM-2), सम्राट (PDM-139), आजाद मूंग-1 (KM-2342), IPM-409-4 (हीरा) और MH-1142, इन किस्मों की विशेषता यह है कि ये जल्दी तैयार होती हैं और रोगों के प्रति अधिक सहनशील भी रहती हैं।

भूमि की तैयारी और बुवाई का सही समय
मूंग की खेती के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। एक पलेवा करने के बाद दो जुताइयों से खेत अच्छी तरह तैयार हो जाता है। अगर मिट्टी में नमी कम हो तो दोबारा पलेवा कर लेना चाहिए। बुवाई का सर्वोत्तम समय 10 मार्च से 10 अप्रैल माना जाता है। देर से बुवाई करने पर तेज गर्मी और अनियमित बारिश के कारण दाने और फलियां प्रभावित हो सकती हैं।

बीज दर और बीज-उपचार
एक हेक्टेयर खेत के लिए लगभग 20–25 किलो स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले बीज पर्याप्त माने जाते हैं। बुवाई से पहले बीजों का शोधन करना बेहद ज़रूरी है, ताकि फसल शुरुआत से ही रोग-मुक्त रहे और बेहतर वृद्धि कर सके। इसके लिए बीजों को थीरम, कार्बेन्डाजिम 50% WP या ट्राइकोडर्मा विरडी से उपचारित किया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल शुरुआती रोगों को रोकती है, बल्कि पौधों को मजबूत बनाकर पूरी फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाती है।

बुवाई की विधि और उर्वरक प्रबंधन
बीजों को 4–5 सेमी गहराई पर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25–30 सेमी रखते हुए बोना चाहिए। उर्वरक के रूप में एक हेक्टेयर में 10–15 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस, 20 किलो पोटाश और 20 किलो सल्फर देने की सिफारिश की जाती है। फॉस्फोरस मूंग की उपज बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाता है, इसलिए बुवाई के समय ही इसे कूंड़ों में बीज के 2–3 सेमी नीचे डालें।

सिंचाई का सही प्रबंधन
मूंग की फसल को सामान्यतः 3–4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है, लेकिन इसका समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। पहली सिंचाई बुवाई के लगभग 25–30 दिन बाद करनी चाहिए, क्योंकि बहुत जल्दी पानी देने से जड़ों के विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसके बाद फसल की आवश्यकता के अनुसार 10–15 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जा सकती है। खासकर फूल आने से पहले और दाना भरने के समय सिंचाई ज़रूर करनी चाहिए, क्योंकि इन दो चरणों में समय पर दी गई नमी फसल की उपज को काफी बढ़ा देती है।

खरपतवार और रोग नियंत्रण
पहली सिंचाई के बाद हल्की निकाई-गुड़ाई करने से खरपतवार नियंत्रण में काफी मदद मिलती है। इमैजीथॉपर 10% SL का छिड़काव 20–25 दिन बाद करना प्रभावी रहता है। पीला मोजैक मूंग का प्रमुख रोग है जिसे सफेद मक्खी फैलाती है। यह दिखते ही संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए। सफेद मक्खी, हरा फुदका और थ्रिप्स पर नियंत्रण के लिए ऑक्सीडेमेटॉन-मिथाइल, डाईमेथोयेट या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव उपयोगी है। फली वेधक के लिए इन्डोक्साकार्ब या क्विनालफॉस का प्रयोग किया जाता है।

फसल कटाई और भंडारण
भंडारण से पहले मूंग की फसल को अच्छी तरह साफ करके धूप में पूरी तरह सुखाना बहुत जरूरी है। फसल में नमी की मात्रा 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अधिक नमी से दानों में खराबी, फफूंद और कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है। सही तरीके से सुखाई गई और कम नमी वाली फसल लंबे समय तक सुरक्षित रहती है और भंडारण के दौरान गुणवत्ता भी बनी रहती है।

TAGGED:Green Gram FarmingIndustrial EmpireMoong Crop GuideRabi Season Farming
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article Silver price crosses 2 lakh per kg in India, record high surge due to industrial demand and global market rally Silver Price: चांदी ने बनाया नया इतिहास पहली बार 2 लाख के पार सोना भी रिकॉर्ड ऊँचाई की ओर, जानिए भाव
Next Article JioStar–ICC Media Rights Deal JioStar–ICC Media Rights Deal: 2027 तक बरकरार रहेगा समझौता, टी20 वर्ल्ड कप समेत सभी ICC टूर्नामेंट्स का प्रसारण तय
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Might Also Like

Real Estate
अन्य

दिल्ली से हैदराबाद तक: रियल एस्टेट में मंदी की दस्तक

By
Industrial Empire
एग्रीकल्चर

खेत में उगाएं ‘गुलाबी सोने’ की फसल, एक बार लगाएं-हर साल कमाएं ! सरकार भी देगी सब्सिडी

By
Industrial Empire
"ICAI National Symposium जागृति 2025 लखनऊ — 800 से अधिक चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भागीदारी, AI, GST, ऑडिट और पूंजी बाजार पर चर्चाएं"
अन्य

आईसीएआई की राष्ट्रीय संगोष्ठी में 800 चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भागीदारी

By
Industrial Empire
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ब्रह्मोस उत्पादन केंद्र में – आत्मनिर्भर भारत की सैन्य नीति
अन्य

भारत की सैन्य योजना में बड़ा कदम, अब हर साल बनेंगी 100 ब्रह्मोस मिसाइलें

By
Industrial Empire
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
The Industrial Empire - उद्योग, व्यापार और नवाचार की दुनिया | The World of Industry, Business & Innovation
Facebook X-twitter Youtube Linkedin

Quick links

  • About Us
  • Contact Us
Categories
  • होम
  • ट्रेंडिंग खबरें
  • फर्श से अर्श तक
  • बिजनेस आईडिया
  • ऑटो/टेक
  • बैंकिंग
  • आईटी
  • टेलिकॉम
  • एनर्जी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एग्रीकल्चर
  • फार्मा
  • अन्य

Policies

  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions

Copyright © 2025 The Industial Empire. All Rights Reserved.

Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?