आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) ने एक ऐसा स्पंज तैयार किया है, जो किसी भी तरह की चोट लगने या दुर्घटना के समय में केवल 2 मिनट में ही खून के बहाव को रोक सकता है। दरअसल, इस स्पंज की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग (MSE) के शोधकर्ताओं ने समुद्री लाल घास और सेल्यूलोज से बने हेमोस्टेटिक स्पंज का विकास किया है, जो आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल में एक बड़ी सफलता है। यह नवाचार खून को 2 मिनट के अंदर रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। जैसा की आप भी जानते है, की आजकल सड़क दुर्घटना, गंभीर चोटें लगना ये सब कितना ज्यादा बढ़ गया है। ऐसी आपातकालीन स्थिति में इस स्वदेशी स्पंज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होगा।
भारत के तटीय क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली लाल समुद्री घास से तैयार किया गया यह स्पंज कठोर परीक्षणों से गुजर चुका है, जिनके परिणाम इसकी त्वरित थक्का जमाने की क्षमता को प्रमाणित करते हैं। तीन पेटेंटों के तहत, जिसमें एक पेटेंट डीआरडीओ और दो पेटेंट आईआईटी कानपुर के पास हैं, इसके आविष्कारक के रूप में यह स्पंज अपनी दक्षता और प्रभावशीलता के कारण आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए एक जरुरी साधन बन चुका है।
आईआईटी कानपुर के मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर विवेक वर्मा ने कहा, यह हेमोस्टेटिक स्पंज भारत के प्राकृतिक संसाधनों को अत्याधुनिक सामग्री विज्ञान के साथ जोड़ने का परिणाम है। समुद्री घास और सेल्यूलोज का इस्तेमाल करके हमने एक बायोडिग्रेडेबल, लागत-प्रभावी समाधान निकला गया है, जो टिकाऊ स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं को समर्थन देते हुए जीवन को बचा सकता है। यह आपातकालीन देखभाल में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, विशेष रूप से उन स्थानों या क्षेत्रों में जहां लोगों को चिकित्सा सेवाओं और उपचार तक आसान या पर्याप्त पहुँच नहीं है।
यह नवाचार यानि कि (उत्पाद) आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता रखता है। यह गंभीर और संकटपूर्ण परिस्थितियों में जीवन को बचाने की संभावना को और भी बेहतर बनाएगा, जिससे ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकेगी। साथ ही, यह उत्पाद देश भर में जीवन रक्षक समाधान (जैसे चिकित्सा उपकरण और उपचार) को अधिक लोगों तक आसानी से पहुँचाने में मदद करेगा, जिससे यह अधिक सुलभ और उपलब्ध हो जाएगा।