भारत ताजे फल और सब्जियों के उत्पादन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो फल और सब्जियाँ हम बाजार से लाते हैं, उनमें से आधे से ज़्यादा हमारे घर तक पहुँचने से पहले ही खराब हो जाते हैं? सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 40% से ज़्यादा फल और सब्जियाँ बर्बाद हो जाती हैं। इसका मतलब है कि किसानों की मेहनत, कीमती पैसा और ज़रूरी पोषण – सब कुछ बर्बाद हो जाता है। लेकिन अब इस बड़ी समस्या का एक देसी और टिकाऊ हल सामने आया है। IIT रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक अनोखी तकनीक विकसित की है, जिसका नाम है – ‘नेचुरल क्ले बेस्ड स्कैवेंजर’।
यह तकनीक पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसकी मदद से फल और सब्जियाँ 21 दिनों तक ताज़ा और सुरक्षित बनी रह सकती हैं। इसका उपयोग स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट और घर में रखाव के दौरान भी किया जा सकता है। यह खोज न सिर्फ खाद्य बर्बादी को कम करने में मदद करेगी, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने और उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता वाला भोजन उपलब्ध कराने में भी कारगर साबित होगी।
आखिर क्या है ये क्ले स्कैवेंजर
पेपर टेक्नोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कीर्तिराज के. गायकवाड़ और उनकी टीम ने दो साल की मेहनत से एक खास तरह की प्राकृतिक ‘क्ले’ तैयार की है। यह क्ले फलों और सब्जियों पर एक पतली सुरक्षात्मक परत बना देती है, जो उन्हें जल्दी खराब होने से बचाती है।इस परत की खास बात यह है कि यह फल और सब्जियों से निकलने वाली एथिलीन गैस के हवा से संपर्क को रोकती है। एथिलीन एक प्राकृतिक गैस है जो फलों को पकने में मदद करती है, लेकिन जब इसकी मात्रा ज़्यादा हो जाती है तो फल जल्दी सड़ने लगते हैं।
इस तकनीक की मदद से फलों और सब्जियों की शेल्फ लाइफ यानी ताजगी बनाए रखने की अवधि को 30 से 50 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। इसका मतलब है कि फल और सब्जियां ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होंगे, जिससे किसानों, विक्रेताओं और उपभोक्ताओं – सभी को फायदा होगा। यह क्ले पूरी तरह से प्राकृतिक, सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल है, जो इसे बाजार में एक बेहतरीन विकल्प बनाती है। आने वाले समय में यह इनोवेशन फूड वेस्टेज को कम करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
21 दिन तक नहीं सड़ेंगे फल-सब्जियाँ
इस खास क्ले स्कैवेंजर का इस्तेमाल करने के बाद फलों की शेल्फ लाइफ यानी ताजगी बनाए रखने की अवधि लगभग 21 दिन तक बढ़ गई है।जहाँ सामान्य परिस्थितियों में कोई फल सिर्फ 7 दिन तक ही ताजा रहता है, वहीं इस तकनीक की मदद से वही फल 10 से 12 दिन या उससे भी अधिक समय तक बिना सड़े सुरक्षित रह सकता है। कुछ मामलों में तो फल 3 हफ्ते तक भी ताजे बने रहे, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस तकनीक का एक और बड़ा फायदा ये है कि यह फल-सब्जियों के पोषक तत्वों (न्यूट्रिएंट्स) को भी लंबे समय तक सुरक्षित रखती है। यानी सिर्फ बाहर से ही नहीं, अंदर से भी ताजगी बनी रहती है।
इस क्ले परत के ज़रिए फल और सब्जियों के आसपास की हवा में मौजूद एथिलीन गैस को नियंत्रित किया जाता है। एथिलीन वही गैस है जो फलों को पकाती है, लेकिन अधिक मात्रा में यह उन्हें जल्दी सड़ा देती है। क्ले स्कैवेंजर इस गैस को अवशोषित करके उसके असर को कम कर देता है। यह तकनीक सस्ती, प्राकृतिक, और पर्यावरण के अनुकूल है – जिससे यह किसानों, विक्रेताओं और उपभोक्ताओं – तीनों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।
अब फल और सब्जियां नहीं होगी ख़राब
दुनियाभर में हर साल करीब 5 करोड़ टन फल और सब्जियाँ बर्बाद हो जाती हैं। यह आंकड़ा सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं दिखाता, बल्कि यह पर्यावरणीय नुकसान और बढ़ते खाद्य संकट की भी गंभीर चेतावनी देता है। इस बड़ी समस्या से निपटने की दिशा में IIT रुड़की ने एक बेहतरीन और सुरक्षित समाधान खोज निकाला है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक प्राकृतिक ‘क्ले कोटिंग’ विकसित की है, जो फलों और सब्जियों को लंबे समय तक ताजा रखने में मदद करती है – वो भी बिना किसी हानिकारक केमिकल के।
आजकल बाजार में जो फल और सब्जियाँ लंबे समय तक चमकदार और ताजगी भरे दिखते हैं, वे अक्सर केमिकल कोटिंग की वजह से होते हैं। ऐसी कोटिंग देखने में तो अच्छी लगती है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है, खासकर बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए। IIT रुड़की की यह नई नैचुरल क्ले कोटिंग पूरी तरह से सुरक्षित, पर्यावरण के अनुकूल और जैविक (organic) है। इसका इस्तेमाल करने से फल-सब्जियाँ ज्यादा दिनों तक ताजगी बनाए रखते हैं, और उनके पोषक तत्व (nutrients) भी सुरक्षित रहते हैं। यह तकनीक न केवल बर्बादी को रोकने में मददगार है, बल्कि यह किसानों, दुकानदारों और आम लोगों के लिए एक सस्ता और टिकाऊ विकल्प भी बन सकती है।