India बना ‘दूध का सुपरपावर’: 240 मिलियन टन उत्पादन के साथ विश्व में नंबर वनने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह डेयरी सेक्टर का ग्लोबल लीडर है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में देश का कुल दूध उत्पादन 239.30 मिलियन टन तक पहुँच गया। यह आंकड़ा बताता है कि भारत न केवल दुनिया की बढ़ती दूध खपत को पूरा कर रहा है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति में भी सबसे बड़ा योगदान दे रहा है। भारत का दूध उत्पादन दुनिया की कुल सप्लाई का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है।
किसानों और ग्रामीण भारत की रीढ़
डेयरी उद्योग केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, यह सीधे तौर पर भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस सेक्टर से करीब 8 करोड़ किसान जुड़े हुए हैं, जिनमें अधिकांश छोटे और सीमांत किसान हैं। खास बात यह है कि महिलाओं की भागीदारी यहाँ बड़ी भूमिका निभाती है। दूध का उत्पादन और संग्रहण बड़ी हद तक महिलाओं के हाथों में है, जिससे यह क्षेत्र समावेशी विकास का प्रतीक बन चुका है।
10 साल में जबरदस्त बढ़ोतरी
पिछले एक दशक में भारत के दूध उत्पादन में रिकॉर्ड ग्रोथ दर्ज की गई है। 2014-15 में उत्पादन 146.30 मिलियन टन था, जो 2023-24 में 239.30 मिलियन टन तक पहुँच गया। यह 63.56% की वृद्धि है, यानी लगभग 5.7% की औसत वार्षिक वृद्धि दर। यह ग्रोथ दर बताती है कि भारत ने लगातार डेयरी क्षेत्र को मजबूत बनाने पर काम किया है।
FAO भी मानता है भारत का दबदबा
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के आंकड़े भी यही कहते हैं कि दूध उत्पादन में भारत सबसे आगे है। अमेरिका, पाकिस्तान, चीन और ब्राजील जैसे बड़े देश भी भारत से पीछे हैं। सबसे अहम बात यह है कि प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता भी लगातार बढ़ी है। 2023-24 में भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 471 ग्राम दूध उपलब्ध रहा, जबकि वैश्विक औसत केवल 322 ग्राम है। यानी भारत अपने नागरिकों को दुनिया से बेहतर दूध उपलब्ध करा रहा है।
पशुओं की संख्या
भारत का डेयरी उत्पादन उसकी पशुधन संपदा पर आधारित है। देश में कुल 303.76 मिलियन गोजातीय पशु हैं, जिनमें गाय, भैंस, मिथुन और याक शामिल हैं। यह पशुधन न केवल दूध उत्पादन करता है बल्कि कृषि कार्यों में भी किसानों का सहारा है। इसके अलावा, देश के शुष्क और अर्ध-शुष्क इलाकों में भेड़ और बकरियाँ भी दूध उत्पादन में योगदान देती हैं। वर्तमान में 74.26 मिलियन भेड़ें और 148.88 मिलियन बकरियाँ भारत के डेयरी सेक्टर का अहम हिस्सा हैं।
उत्पादकता में भी आगे
2014 से 2022 के बीच भारत ने गोजातीय पशुओं की उत्पादकता में 27.39% की वृद्धि दर्ज की। यह आंकड़ा वैश्विक औसत (13.97%) से कहीं अधिक है। चीन, जर्मनी और डेनमार्क जैसे डेयरी हब देशों से भी भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है। यह उपलब्धि बताती है कि भारत संख्या के मामले में ही नहीं, बल्कि गुणवत्ता और उत्पादकता के मामले में भी दुनिया से आगे निकल रहा है।
मजबूत सहकारी ढांचा
भारत का डेयरी उद्योग सहकारी समितियों पर आधारित है, जो इसे बेहद संगठित और स्थिर बनाता है। 2025 तक इस नेटवर्क में 22 दुग्ध संघ, 241 जिला सहकारी संघ, 28 विपणन डेयरियाँ और 25 दुग्ध उत्पादक संगठन (MPO) शामिल होंगे। यह व्यवस्था करीब 2.35 लाख गाँवों को कवर करेगी और 1.72 करोड़ डेयरी किसानों को सीधा जोड़ेगी।
महिलाओं की भागीदारी सबसे खास
भारत के डेयरी क्षेत्र की सबसे बड़ी ताकत महिलाओं की भागीदारी है। अनुमान है कि इस क्षेत्र में 70% कार्यबल महिलाएं हैं और करीब 35% महिलाएं सहकारी समितियों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। देशभर में 48,000 से ज्यादा महिला-नेतृत्व वाली डेयरी समितियाँ काम कर रही हैं, जो न केवल दूध उत्पादन को बढ़ा रही हैं बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त भी बना रही हैं। यह मॉडल महिलाओं की आत्मनिर्भरता और ग्रामीण विकास का बेहतरीन उदाहरण है।
खाद्य सुरक्षा और भविष्य की तैयारी
भारत का डेयरी क्षेत्र केवल दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है। यह देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करता है और लाखों परिवारों की आय का मुख्य स्रोत है। आने वाले वर्षों में आधुनिक तकनीक, बेहतर नस्लों और डिजिटल सप्लाई चेन से यह उद्योग और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बन सकता है।
नतीजा
भारत का “दूध का सुपरपावर” बनना केवल एक सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और खाद्य सुरक्षा की कहानी भी है। डेयरी सेक्टर की यह निरंतर वृद्धि बताती है कि आने वाले समय में भारत न केवल दुनिया को दूध उपलब्ध कराएगा बल्कि वैश्विक डेयरी उद्योग के भविष्य को भी दिशा देगा।